हिजबुल्लाह संगठन खुद को शिया इस्लामिक पॉलिटिकिल, मिलिट्री और सोशल ऑर्गनाइजेशन बताता है, जो लेबनान का ताकतवर ग्रुप है। अमेरिका समेत कई देशों ने इसे आंकी संगठन घोषित कर रखा है।
हिजबुल्लाह 40 साल पुराना संगठन है। 1980 की शुरुआत में जब इजराइल ने लेबनान पर कब्जा किया, तब 1982 में ईरान की मदद से इसे बनाया गया। हिजबुल्लाह एक शिया लेबनानी संगठन है।
हिजबुल्लाह लीडर का नाम हसन नसरल्लाह है। इसका मकसद इजराइल को खत्म करना और दुनिया में अमेरिका के आधिपत्य को चुनौती देना है।
हिजबुल्लाह के पास कुल 45,000 लड़ाके हैं। जिनमें 20,000 एक्टिव हैं, जबकि 25,000 रिजर्व। इसके पास हथियारों का जखीरा है। जिससे यह इजराइल को हमेशा आंख दिखाता रहता है।
इजराइली सेना के मुताबिक, हिजबुल्लाह के पास 1,5 लाख से ज्यादा मिसाइलें हैं। इनमें लंबी दूरी की मिसाइल (180-700KM), गाइडेड मिसाइल (70-250KM), मीडियम और कम दूरी के रॉकेट हैं।
इजराइली सेना के मुताबिक, हिजबुल्लाह के पास एंटी टैंक हथियार, एंटी टैंक मिसाइलें, एंटी एयरक्रॉफ्ट मिसाइल, एयर डिफेंस सिस्टम, करीब 2,000 ड्रोन है।
हिजबुल्लाह के पास आत्मघाती दस्ते हैं। उसके लड़के गुरिल्ला युद्ध में माहिर और ट्रेंड हैं। उन्हें इजराइल से लड़ने का अनुभव भी है। सीरियाई गृहयुद्ध में लड़ चुके हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान, हिजबुल्लाह को हथियार, ट्रेनिंग और खुफिया मदद पहुंचाता है। हिजबुल्लाह की कमाई हर साल एक अनुमान के मुताबिक, 70 करोड़ डॉलर है, जिसमें ज्यादा ईरान से आता है