पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे से क्या रूस के साथ भारत के संबंध पहले की तरह रहेंगे। बता दें कि रूस भारत का पुराना मित्र है और दोनों के व्यापारिक और सामरिक रिश्ते बेहद गहरे हैं।
रक्षा मामलों के एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत इस यात्रा से दोनों के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश कर रहा है। वो दोनों देशों के बीच शांति वार्ता में अपना अहम योगदान देना चाहता है।
बता दें कि भारत-रूस के बीच सैन्य, व्यापार और डिप्लोमैटिक रिलेशन पहले से ही काफी मजबूत हैं। भारत अपनी कुल तेल खपत का 40% से ज्यादा और हथियारों का 60% रूस से खरीदता है।
ऐसे में भारत कतई नहीं चाहेगा कि यूक्रेन यात्रा को लेकर रूस के साथ उसके रिश्ते खराब हों। ऐसा इसलिए भी है कि रूस से रिश्ते बिगड़ने पर चीन उसके नजदीक पहुंचने की कोशिश कर सकता है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन दौरे में भी भारत खुद को सिर्फ एक शांतिदूत के तौर पर पेश करेगा।
रूस-यूक्रेन दोनों जानते हैं कि भारत ही एक ऐसा देश है, जो दोनों के बीच शांति स्थापित करा सकता है।
यूक्रेन दौरे पर मोदी रक्षा और आर्थिक सहयोग के साथ ही जंग के बाद यूक्रेन के रिडेवलपमेंट में भारत की भूमिका को लेकर बातचीत कर सकते हैं।