भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स ने अपनी उन तस्वीरों को लेकर बात की है, जिनमें वो पिचके गाल और कमजोर शरीर में नजर आई थीं।
सुनीता विलियम्स ने कहा है कि उनका पतला दिखना एक नॉर्मल शारीरिक परिवर्तन है, जिसे 'फ्लुइड शिफ्ट' कहा जाता है।
सुनीता विलियम्स के मुताबिक, माइक्रोग्रैविटी यानी अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी के चलते शरीर में लिक्विड फैल जाता है। इससे चेहरे पर हल्की सूजन या फिर पतलापन दिखाई देता है।
इसी बीच, NASA ने सुनीता विलियम्स की एक नई तस्वीर शेयर की है, जिसमें वो अंतरिक्ष स्टेशन की खिड़की से धरती को निहारती नजर आ रही हैं। ये तस्वीर उनकी हेल्थ खुद बयां कर रही है।
वहीं, नासा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ISS पर पिछले कुछ दिनों में दरारें तेजी से बढ़ रही हैं। इसके साथ ही वहां रिसाव की संख्या बढ़कर 50 से ज्यादा हो गई है।
नासा का मानना है कि अंतरिक्ष स्टेशन को काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में किसी भी अंतरिक्ष यात्री की सुरक्षा की गारंटी नहीं ली जा सकती है।
ऐसे में नासा की ये रिपोर्ट कहीं न कहीं इस बात की आशंका भी बढ़ा रही है कि ISS में दरारों पर ध्यान नहीं दिया गया तो सुनीता विलियम्स और विल्मोर की जान खतरे में पड़ सकती है।
सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर 5 जून, 2024 को ISS के लिए रवाना हुए थे। उन्हें मिशन 8 दिन में पूरा कर लौटना था, लेकिन यान में आई तकनीकी खराबी से ये आगे बढ़ता जा रहा है।