हमास के आतंकियों ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया था और खून की नदियां बहा दी थी। आतंकी कैप्टागन नाम के ड्रग्स का नशा करके आए थे ताकि बेगुनाहों का कत्ल कर सकें।
जेरूसलम पोस्ट के अनुसार इजरायल में मारे गए आतंकियों की जेब से कैप्टागन की गोलियां मिली हैं। कैप्टागन एक सिंथेटिक ड्रग है। इसे दक्षिणी यूरोप में गुप्त रूप से तैयार किया जाता है।
तुर्की के माध्यम से अरब के बाजारों में कैप्टागन की तस्करी की जाती है। कम कीमत के चलते इसे गरीबों का कोकीन कहा जाता है। इसके असर से आतंकी लंबे समय तक सतर्क रहे और उन्हें भूख न लगी।
कैप्टागन को 2015 में तब बदनामी मिली जब यह पता चला कि इसका इस्तेमाल ISIS के आतंकी डर दबाने के लिए करते हैं। लेबनान और सीरिया में इस ड्रग का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है।
कैप्टागन एम्फैटेमिन परिवार से संबंधित ड्रग है। इसे शुरू में अवसाद जैसे मानसिक रोक के इलाज के लिए विकसित किया गया था। इसके नशे की लत लग जाती है।
गरीब देशों में कैप्टागन एक से दो डॉलर में खरीदी जा सकती है। अमीर देशों में इसकी कीमत 20 डॉलर प्रति गोली तक हो सकती है। आतंकी बड़े पैमाने पर इस ड्रग का इस्तेमाल करते हैं।
ISIS के लिए नशीली दवाओं की तस्करी कमाई का बड़ा माध्यम थी। कैप्टागन अब सीरिया के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत बन गया है। हिजबुल्लाह द्वारा इसे बड़े पैमाने पर तैयार कराया जाता है।
2 साल पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट दिया था कि सीरियाई तानाशाह बशर असद से जुड़े लोगों ने कैप्टागन के उत्पादन के लिए उद्योग स्थापित किया था। इसमें हिजबुल्लाह की भागीदारी है।
सीरिया में नशीली दवाओं के व्यापार से होने वाला मुनाफा वैध निर्यात से होने वाले मुनाफे से अधिक है। सीरिया से कैप्टागन का निर्यात 2020 में न्यूनतम $3.5 बिलियन तक पहुंच गया था।
सऊदी अरब में कैप्टागन की खपत सालाना 600 मिलियन गोलियों से अधिक है। इसकी तस्करी इटली, ग्रीस, मलेशिया और मिस्र तक होती है। यह जॉर्डन में यह कम कीमत पर आसानी से उपलब्ध है।