चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें ISKCON समुदाय में श्री चिन्मय कृष्ण प्रभु के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश में एक प्रभावशाली धार्मिक नेता हैं।
चिन्मय कृष्ण दास पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं, जो बांग्लादेश में एक ISKCON केंद्र है और धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए उनकी आवाज लंबे समय से उठती रही है।
इससे पहले चिन्मय कृष्ण दास चटगांव में ISKCON के डिवीजनल ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी भी रह चुके हैं।
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का जन्म 1985 में चटगांव के करियनगर गांव में हुआ। 12 साल की उम्र में 1997 में उन्होंने दीक्षा ली और ISKCON में ब्रह्मचारी के रूप में शामिल हुए।
उनकी गिरफ्तारी चिटगांव में 25 अक्टूबर 2024 को हुई रैली के बाद हुई, जिसमें उन पर बांग्लादेश ध्वज का अपमान करने का आरोप था। 18 अन्य लोगों के साथ उन पर राजद्रोह का केस दर्ज किया गया।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से ठीक पहले, 22 नवम्बर को उन्होंने रंगपुर में एक रैली में हिंदू समुदाय पर हो रहे हिंसक हमलों की निंदा की थी।
26 नवम्बर को बांग्लादेश की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
कुछ महीने पहले तक ब्रह्मचारी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं थे, लेकिन बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और उनके मंदिरों पर हमले के बाद उनकी पहचान बन गई।
बांग्लादेश में शेख हसीना शासन के पतन के बाद हिंदू समुदाय पर हिंसा भड़क उठी और इस दौरान चिन्मय कृष्ण दास ने हिंदुओं की सुरक्षा के लिए आवाज उठाई, जिससे वह एक महत्वपूर्ण नेता बन गए।
भारत के विदेश मंत्रालय ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर गहरी चिंता जताई और कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।