भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत सारी क्रांतिकारी महिलाओं ने अदम्य साहस का परिचय दिया है। बंगाल की महिला क्रांतिकारी हों या दक्षिण भारत की महिलाएं, सभी ने देश की आजादी के लिए प्राण न्योछावर किए हैं।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश की वीरांगना महिलाओं ने भी हंसते-हंसते प्राणों की आहुति दी है। महिलाओं ने क्रांतिकारियों के समूह की लाजिस्टिक मदद भी की, जिससे अंग्रेजों के खिलाफ अभियान मजबूत हो सका। कई बार तो महिलाओं ने क्रांतिकारी ग्रुप ही बना लिया और अंग्रेजों से लोहा लिया।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जेआरडी टाटा को एक ऐसे व्यक्ति के रुप में याद किया जाता है, जिन्होंने अंग्रेजों के कई पूर्वाग्रहों को ध्वस्त करने का काम किया। उन्होंने अपने ही अंदाज में अंग्रेजों को मात दी।
भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) के बंटवारे के दौरान कई परिवारों को अपने पैतृक मकान छोड़ने पड़े थे। उन्हीं में से एक हैं रीन छिब्बर, जो अब 92 साल की हो चुकी हैं। वे 75 साल बाद पाकिस्तान में अपने पैतृक आवास पहुंचीं।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का शुरूआत 1857 से मानी जाती है, जब पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह हुआ था। लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि 1857 से 2 साल पहले भी एक विद्रोह हुआ था, जिसे संथाल विद्रोह कहा जाता है।
जनरल मोहन सिंह आजाद हिंद फौज के पहले जनरल थे। उन्होंने युद्ध के मैदान में आजाद हिंद फौज के जवानों का नेतृत्व किया था। वह पहले ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल थे।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मातंगिनी हाजरा (Mathangini Hazra) का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। 72 वर्ष की आयु में मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाली हाजरा देश को आजाद देखना चाहती थीं।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान तीन नाम देश के हर नागरिक की जुबान पर रहता है। वे तीन नाम हैं, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू। ये तीनों प्रखर राष्ट्रवादी युवा थे जिन्होंने अंग्रेजों के सामने कड़ी चुनौती पेश की थी।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई ऐसे क्रांतिकारी रहे हैं, जिन्होंने अकेले दम पर ही अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। इन्हीं क्रांतिकारियों में से एक थे वंचिनाथ अय्यर, जिनसे अंग्रेज सरकार भी खौफ खाती थी।
केरल के एक जमींदार परिवार में जन्मी कैप्टन लक्ष्मी ने भारतीय राष्ट्रीय सेना के झांसी रानी रेजीमेंट का नेतृत्व किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें यह जिम्मेदारी दी थी। सिंगापुर और मलेशिया में रहने वाले भारतीयों की बेटियां झांसी रानी रेजिमेंट में शामिल हुईं थी।