सार
उज्जैन. माघ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को भीष्म पितामाह की जयंती (Bhishma Jayanti 2022) मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 26 जनवरी, बुधवार को है। भीष्म पितामाह के बारे में तो हम सभी जानते हैं। ये देवी गंगा और शांतनु के पुत्र थे। महाभारत (Mahabharata) की शुरूआत से लेकर अंत तक भीष्म इस कथा में बने रहे।
उज्जैन. भीष्म पितामाह का प्रसिद्ध मंदिर प्रयागराज में स्थित है। ऐसा भी कहा जाता है कि ये भीष्म पितामाह का एक मात्र मंदिर है। कहा जाता है कि ये मंदिर हजारों साल पुराना है। यहां भीष्म पितामाह बाणों पर लेटी हुई प्रतिमा है। लोग दूर-दूर से यहां दर्शन के लिए आते हैं और समय-समय पर इस मंदिर में विशेष आयोजन भी किए जाते हैं। भीष्म पितामाह जयंती के अवसर पर जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…
1. भीष्म पितामह का यह मंदिर गंगा के किनारे दारागंज में नाग वासुकी मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित है, जो हजारों वर्षों पुराना है। इस मंदिर में भीष्म पितामह की विशालकाय प्रतिमा विश्राम की मुद्रा में स्थापित है।
2. इलाहाबाद के दारागंज इलाके में स्थित इस मंदिर का निर्माण हाई कोर्ट के वकील जेआर भट्ट ने 1961 में करवाया था। इस मंदिर में श्रद्धालु गंगा पुत्र की पूजा के साथ ही उनकी परिक्रमा के लिए भी यहां घंटों लाइन में लगे रहते हैं।
3. मंदिर के पुजारियों के अनुसार, बहुत साल पहले एक बूढ़ी औरत रोजाना गंगा में स्नान करने आती थी। डुबकी लगाने के बाद उसने एक दिन जे आर भट्ट से कहा की वह गंगा के पुत्र की भी पूजा करना चाहती है, बस इस बात को सुनकर भट्ट ने मंदिर का निर्माण प्रारंभ कर दिया।
4. पौराणिक कथाओं से प्रभावित होकर बनाए गए इस मंदिर में भीष्म पितामाह की 12 फिट लम्बी और लेटी हुई मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति को तीरों की शय्या पर लेटा हुआ दर्शाया गया है। लोग भीष्म पितामह की मूर्ती पर पुष्प चढ़ते हैं और उन्हें नमन करते हैं।
5. अब मंदिर धीरे-धीरे जीर्ण शीर्ण हो गया है. लेकिन आज भी दीपावली और पितृपक्ष में बड़ी तादात में श्रद्धालु यहां आकर दीपदान करते हैं। इस मंदिर को प्रयागराज के धार्मिक पर्यटन सर्किट योजना में भी शामिल किया गया है।
ये भी पढ़ें...
अहमदाबाद के इस मंदिर में होती है मुस्लिम महिला की पूजा, अंतरिक्ष यात्रा से पहले इस एस्ट्रोनॉट ने टेका था माथा