सार
अधिकतर लोग अपने क्रोध की वजह से बड़ी-बड़ी परेशानियों में फंस जाते हैं। गुस्से में बोली गई बातों से रिश्ते खराब हो जाते हैं। जब क्रोध शांत होता है तो पछतावा भी होता है, लेकिन तब तक परिस्थितियां बिगड़ जाती हैं।
उज्जैन. कुछ लोग अपने गुस्से पर काबू पाना चाहते हैं, लेकिन चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाते। ऐसे लोग धीरे-धीरे अपने परिवार और समाज से अलग हो जाते हैं। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है क्रोध के समय बोली गई बातें हमारे संबंधों पर भी बहुत बुरा असर डालती हैं।
जब गुस्सैल महिला को वैद्य ने दी दवाई
किसी गांव में एक क्रोधी स्वभाव की महिला रहती थी। उसे छोटी-छोटी बातों में ही गुस्सा आ जाता था और वह अच्छे-बुरे का भेद भी भूल जाती थी। जो मुंह में आता, बोल देती थी। महिला की वजह से परिवार वाले और गांव के लोग बहुत परेशान थे। गुस्सा शांत होने पर महिला को अपने किए पर पछतावा भी होता था। वह खुद क्रोध को काबू करना चाहती थी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी।
एक दिन उसके गांव में एक वैद्य आए। महिला वैद्य् से मिलने पहुंची और अपनी परेशानी बताई। उसने कहा कि “मैं मेरा स्वभाव सुधार नहीं पा रही हूं। कृपया कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरा स्वभाव हमेशा शांत रहे।”
वैद्य ने महिला की पूरी ध्यान से सुनी और वे समझ गए कि इसकी समस्या कैसे दूर हो सकती है। उन्होंने महिला को एक शीशी दी और कहा कि “इसमें दवा है। तुम्हें जब भी क्रोध आए तो इसे मुंह से लगाकर धीरे-धीरे पीना। शीशी को मुंह से तब तक लगाए रखना, जब तक कि तुम्हारा क्रोध शांत न हो जाए। जब इसकी दवा खत्म हो जाए तो और ले जाना। कुछ दिनों में तुम्हारा क्रोध खत्म हो जाएगा।”
वैद्य की आज्ञा मानकर महिला ने क्रोध आने पर उस दवा का सेवन करना शुरू कर दिया। एक सप्ताह में ही उसका क्रोध कम होने लगा। खुश होकर वह संत से मिलने पहुंची। महिला ने वैद्य से कहा कि “आपकी दवा चमत्कारी है, मेरा क्रोध कम हो गया है।”
वैद्य ने कहा कि “इस शीशी में कोई दवा नहीं है, बल्कि सामान्य पानी है। क्रोध के समय तुम्हारी बोली को बंद करना थी, तुम्हें मौन रखना था, इसीलिए मैंने तुम्हें ये शीशी दी थी। शीशी मुंह पर लगी होने की वजह से तुम क्रोध के समय बोल नहीं पाई, इससे सामने वाले लोग तुम्हारी बातों से बच गए। तुम चुप रही तो दूसरों ने भी पलटकर कोई जवाब नहीं दिया। तुम्हारे मौन रहने से बात बिगड़ने से बच गई। जब हम किसी के क्रोध का जवाब मौन से देते हैं तो बात वहीं खत्म हो जाती है।”
जीवन प्रबंधन
क्रोध को काबू करने का सबसे अच्छा उपाय है मौन रहना। मौन रहने से ही हमारे और दूसरों के क्रोध को काबू किया जा सकता है।
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