सार
जब सूर्य धनु से निकलकर मकर राशि में जाता है तो मकर संक्रांति (15 जनवरी) का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार साल में 12 संक्रांति होती है, लेकिन मकर संक्रांति का विशेष महत्व है।
उज्जैन. जब सूर्य धनु से निकलकर मकर राशि में जाता है तो मकर संक्रांति (15 जनवरी) का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार साल में 12 संक्रांति होती है, लेकिन मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। क्योंकि इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है तब उत्तरायण रहता है। इसके बाद कर्क से धनु राशि तक सूर्य के रहने पर दक्षिणायन होता है। मकर संक्रांति से देवताओं के दिन और दैत्यों की रात शुरू हो जाती है। इस वजह से विवाह, गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, मूर्ति प्रतिष्ठा करने जैसे शुभ कार्य संक्रांति के बाद शुरू हो जाते हैं।
इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति, इसके पीछे ये है बड़ा कारण
- उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं प्रवीण द्विवेदी के अनुसार ज्यादातर हर साल 14 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी तक मलमास की अवधि रहती है। लेकिन इस बार ज्योतिषीय आंकड़ों के अनुसार मलमास 16 दिसंबर से शुरू हुआ है।
- सूर्य बारह राशियों में भ्रमण करते हुए इस बार 16 दिसंबर को दोपहर 3.28 बजे धनु राशि में प्रवेश कर गया है और 14 जनवरी रात तक यहीं रहेगा। इस दौरान एक माह तक मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे।
- सूर्य जब धनु राशि में होता है, तो उस समय को मलमास कहते है। तिल से निर्मित वस्तुओं के दान का खास महत्व, अन्न दान, तीर्थ स्नान, गंगा स्नान करना उत्तम मकर सक्रांति के दिन तिल से निर्मित वस्तुओं के दान का खास महत्व बताया गया है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
- संक्रांति काल: 07.19 बजे (15 जनवरी)
- पुण्यकाल: 07.19 से 12.31 बजे तक
- महापुण्य काल: 07.19 से 09.03 बजे तक
- संक्रांति स्नान: प्रात:काल,15 जनवरी 2020
इस दिन दान का है विशेष महत्व
- विशेष पुण्यकाल 8 बजकर 14 मिनट से सूर्यास्त तक रहेगा।
- पुण्य काल के समय में तीर्थ स्नान, दान, जाप, हवन, तुलादान, गौदान, स्वर्ण दान का विशेष महत्व है।
- गरीबों को कम्बल, ब्राह्मणों को खिचड़ी एवं तिल गुड़ का पात्र भरकर दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- स्नान के पूर्व शरीर पर तिल का उबटन लगाकर स्नान करने से आरोग्य की वृद्धि होती है ।
बुधवार को मकर संक्रांति पर इस विधि से दें सूर्यदेव को अर्ध्य
मकर संक्रांति है पर्व पर सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य देकर स्नान, दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि यदि इस दिन विभिन्न स्त्रोतों व स्तुतियों से सूर्यदेव की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए इस विधि से अर्ध्य दें और इस स्त्रोत का पाठ करें-
- मकर संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें।
- इस जल में थोड़ा कुंकुम और लाल रंग के फूल भी डाल लें। इसके बाद सूर्य की ओर मुख करके धीरे-धीरे ऊँ घृणि सूर्याय नम: बोलते हुए अर्ध्य दें।
- सूर्यदेव को लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें। बाद में इसे किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें।
- साथ ही गुड़ और गेहूं भी सूर्यदेव को अर्पित करें और बाद में जरूरतमंदों में इसे बांट दें।
- इस तरह सूर्यदेव की पूजा करने के बाद शिव प्रोक्त सूर्याष्टक स्तोत्र का पाठ करें-
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर मनोस्तु ते।।
सप्ताश्चरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्ममज्म।
श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम।।
लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम् ।।
त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यम्।।
बृंहितं तेज:पुजं च वायु माकाशमेव च।
प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
बन्धूकपुष्पसंकाशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेज: प्रदीपनम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्।।
तं सूर्य जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणामाम्यहम्।।
जानिए मकर संक्रांति पर राशि अनुसार क्या दान करना चाहिए...
इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने तथा गरीबों को दान देने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किया गए दान से अक्षय (कभी न समाप्त होने वाला) पुण्यों की प्राप्ति होती है।
मेष- इस राशि का स्वामी मंगल है। इस राशि के लोग मकर संक्रांति पर मच्छरदानी एवं तिल का दान करें तो शुभ रहेगा।
वृषभ- इस राशि का स्वामी शुक्र है। इस राशि के लोग मकर संक्रांति पर ऊनी वस्त्र एवं तिल का दान करें।
मिथुन- इस राशि का स्वामी बुध है। इस राशि वाले इस दिन तिल एवं मच्छरदानी का दान करें तो बहुत अच्छा रहता है।
कर्क- इस राशि का स्वामी चंद्र है। इस राशि के लोग तिल, साबूदाना व ऊन का दान करें तो शुभ रहेगा।
सिंह- इस राशि का स्वामी सूर्य है। इस राशि के लोग तिल, कंबल व मच्छरदानी दान करें।
कन्या- इस राशि का स्वामी बुध है। इस राशि के लोग मकर संक्रांति पर तिल, कंबल, तेल, उड़द दाल का दान करें।
तुला- इस राशि का स्वामी शुक्र है। इस राशि वाले तेल, रुई, वस्त्र, राई व मच्छरदानी दान करें।
वृश्चिक- इस राशि का स्वामी मंगल है। इस राशि वाले गरीबों को चावल व दाल की कच्ची खिचड़ी व कंबल दान करें।
धनु- इस राशि का स्वामी गुरु है। आप तिल व चना दाल का दान करें तो लाभ होने की संभावना बन सकती है।
मकर- इस राशि के स्वामी शनि हैं। मकर संक्रांति पर ये लोग तेल, तिल, कंबल और पुस्तक का दान करें तो इनकी हर इच्छा पूरी होगी।
कुंभ- इस राशि के स्वामी शनि हैं। इस राशि के लोग मकर संक्रांति पर तिल, साबुन, वस्त्र, कंघी व अन्न का दान करें।
मीन- इस राशि का स्वामी गुरु है। मकर संक्रांति पर ये लोग तिल, चना, साबूदाना, कंबल व मच्छरदानी दान करें।
ये हैं मकर संक्रांति के 7 उपाय
1. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच की स्थिति में हो वे यदि मकर संक्रांति पर सूर्य यंत्र की स्थापना कर पूजा करें तो इससे कुंडली के दोष कम होते हैं और विशेष लाभ भी मिलता है।
2. मकर संक्रांति की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कामों से निपट कर सूर्य को अर्घ्य दें। अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करें।
मंत्र- ऊं आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्
3. ज्योतिष के अनुसार, तांबा सूर्य की धातु है। मकर संक्रांति पर तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य दोष कम होता है।
4. मकर संक्रांति पर लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर किसी जरूरतमंद को दान देने से भी व्यक्ति की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
5. मकर संक्रांति पर गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना शुभ रहता है।
6. अगर सूर्यदेव को प्रसन्न करना हो तो इस दिन पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए। ये उपाय करने से भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं।
7. इस दिन कंबल, गर्म वस्त्र, घी, दाल-चावल की कच्ची खिचड़ी आदि का दान करें।
कुंडली में अशुभ है सूर्य तो मकर संक्रांति पर करें सूर्य यंत्र की स्थापना
ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सूर्य पंच देवों में से एक हैं और साक्षात् दिखाई देने वाले देवता हैं। किसी भी शुभ काम में गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, देवी दुर्गा और सूर्य की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थान पर है, उन्हें इस दिन सूर्य यंत्र की स्थापना करनी चाहिए और रोज इसकी पूजा करनी चाहिए।
इस विधि से करें सूर्य यंत्र की स्थापना
- सूर्य यंत्र की स्थापना के लिए संक्रांति पर सुबह उठें और स्नान के बाद सूर्य को प्रणाम करें, अर्घ्य अर्पित करें।
- सूर्य यंत्र पर गंगाजल और गाय का दूध चढ़ाएं। इसके बाद फूल, चावल, कुमकुम सहित अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं।
- पूजा में जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए। ऊँ घृणि सूर्याय नम: का जाप करते रहें।
- मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। जाप के बाद इस यंत्र की स्थापना अपने घर के मंदिर में कर दें।
- इसके बाद रोज इस सूर्य यंत्र की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से सूर्य दोष में कमी आती है और परेशानियां दूर हो सकती हैं।
12 राशियों पर आखिर कैसा रहेगा संक्रांति का प्रभाव, जानिए...
1- मेष राशि वालों को धन लाभ हो सकता है।
2- वृष राशि वालों को कार्यसिद्धि से फायदा होगा।
3- मिथुन राशि वालों को अपने कामों में विजय मिलेगी।
4- कर्क राशि के लिए आर्थिक हानि का समय है।
5- सिंह राशि वालों को शुभ समाचार मिल सकता है।
6- कन्या राशि वालों को आत्मसंतोष होगा।
7- तुला राशि वालों को धन लाभ होगा।
8- वृश्चिक राशि के लोग कलह और विवाद के कारण परेशान हो सकते हैं।
9- धनु राशि वाले लोगों के ज्ञान में वृद्धि होगी।
10- मकर राशि वालों का यश और कीर्ति बढ़ेगी।
11- कुंभ राशि वालों को सम्मान मिलेगा।
12- मीन राशि वाले भय ग्रस्त रह सकते हैं।
भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है मकर संक्रांति उत्सव
भारत में एक ही त्योहार अनेक रूपों में मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जिसे वहां माद्दू पोंगल कहा जाता है। असम में मकर संक्रांति पर बिहू पर्व मनाया जाता है। जानिए भारत में कहां किस रूप में मनाई जाती है मकर संक्रांति...
तमिलनाडु में पोंगल - पोंगल के त्योहार में मुख्य रूप से बैल की पूजा की जाती है क्योंकि बैल के माध्यम से किसान अपनी जमीन जोतता है। गाए व अन्य पशुओं को सजाया जाता है। उनके सींगों पर चित्रकारी की जाती है। उसके बाद भगवान को नई फसल का भोग लगाया जाता है व गाए व बैलों को भी गन्ना व चावल खिलाया जाता है। इस अवसर पर बैलों की दौड़ और अन्य खेलों का भी आयोजन होता है।
असम में बिहू - मकर संक्रांति के अवसर पर असम में बिहू उत्सव मनाया जाता है। यह फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है। माघ बिहू के पहले दिन को उरुका कहा जाता है। इस दिन लोग नदी के किनारे अथवा खुली जगह में धान की पुआल से अस्थाई छावनी बनाते हैं जिसे भेलाघर कहते हैं। गांव के सभी लोग यहां रात्रिभोज करते हैं। गांव के सभी लोग इस मेजी के चारों और एकत्र होकर भगवान से मंगल की कामना करते हैं।
उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है खिचड़ी पर्व - उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति का पर्व खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। वहां इस दिन खिचड़ी सेवन एवं खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व माना जाता है। इस दिन सुबह नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
गुजरात में उत्तरायण - मकर संक्रांति का पर्व गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन वहां के लोग पतंग उड़ाते हैं और तिल-गुड़ के लड्डू खाते हैं।
पंजाब में लोहड़ी- पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। इस उत्सव में रात को आग जलाकर उसके आस-पास महिला व पुरुष परंपरागत नृत्य करते हैं। साथ ही आग में तिल, मूंगफली और चिवड़ा डाला जाता है।