सार

Sawan Pradosh 2022: प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में शिवजी की पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों में सावन मास में किए जाने वाले प्रदोष व्रत का खास महत्व बताया गया है। क्योंकि ये महीना और तिथि दोनों ही शिवजी को अतिप्रिय है। 
 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत-त्योहारों के बारे में बताया गया है। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh 2022) किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। जब ये व्रत सावन में किया जाता है और भी अधिक शुभ रहता है। क्योंकि ये महीना और तिथि दोनों ही शिवजी को अति प्रिय है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, उन्हें ये व्रत विशेष रूप से करना चाहिए। इससे इनकी परेशानियां कम हो सकती हैं। आगे जानिए सावन का अंतिम प्रदोष व्रत कब किया जाएगा…

इस दिन किया जाएगा प्रदोष व्रत (Sawan Pradosh 2022)
पंचांग के अनुसार,  इस बार 9 अगस्त, मंगलवार को सावन का दूसरा और अंतिम प्रदोष व्रत किया जाएगा। मंगलवार को प्रदोष तिथि होने से ये मंगल प्रदोष कहलाएगा। नक्षत्रों के संयोग से इस दिन छत्र और मित्र नाम के 2 शुभ योग रहेंगे। इन शुभ योगों में कई गई शिवजी की पूजा अत्यंत फलदाई रहेगी। 

क्यों किया जाता है प्रदोष व्रत? (Sawan Pradosh 2022)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं के साथ हुआ था। लेकिन चंद्रमा इन सभी में रोहिणी से अधिक प्रेम करते थे। ये देखकर उनकी अन्य पत्नियां दुखी रहती थीं। ये बात एक दिन उन्होंने जाकर अपने पिता से कह दी। दक्ष प्रजापति ने क्रोध में आकर चंद्रमा को क्षय रोग होने का श्राप दे दिया। इस श्राप के चलते चंद्रदेव की आभा धीरे-धीरे क्षीण होने लगी। श्राप से बचने के लिए चंद्रमा और रोहिणी ने भगवान शिव की आराधना की। प्रसन्न होकर शिवजी ने प्रदोष तिथि में चंद्रमा को पुन: स्वस्थ कर दिया और अपने मस्तक पर धारण किया। इसलिए कहा जाता है कि प्रदोष व्रत करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और सभी दुख दूर कर देते हैं।


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