सार

भगवान विष्णु को हर चित्र व मूर्ति में सुदर्शन चक्र धारण किए दिखाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं यह चक्र भगवान विष्णु को किसने और क्यों दिया था। इससे संबंधित कथा का वर्णन शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता में मिलता है-
 

उज्जैन. एक बार जब दैत्यों के अत्याचार बहुत बढ़ गए। तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास आए और दैत्यों का वध करने के लिए प्रार्थन की। दैत्यों का नाश करने के लिए भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की उपासना करने लगे।
- वे 1 हजार नामों से भगवान शिव की स्तुति करने लगे। भगवान विष्णु प्रत्येक नाम पर एक कमल का फूल भगवान शिव को चढ़ाते। तब भगवान शंकर ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए उनके द्वारा लाए एक हजार कमल में से एक कमल का फूल छिपा दिया।
- शिव की माया के कारण विष्णु को यह पता न चला। एक फूल कम पाकर भगवान विष्णु उसे ढूंढने लगे, लेकिन परंतु फूल नहीं मिला। तब भगवान विष्णु ने एक फूल की पूर्ति के लिए अपना एक नेत्र निकालकर शिव को अर्पित कर दिया।
- विष्णु की भक्ति देखकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब भगवान विष्णु ने दैत्यों को नाश करने के लिए अजेय शस्त्र का वरदान मांगा।
- तब भगवान शंकर ने विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया। विष्णु ने उस चक्र से दैत्यों का संहार कर दिया। इस प्रकार देवताओं को दैत्यों से मुक्ति मिली तथा सुदर्शन चक्र उनके स्वरूप के साथ सदैव के लिए जुड़ गया।