सार

इस बार 8 नवंबर, शुक्रवार को देवउठनी एकादशी है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इस पर्व से जुड़ी एक परंपरा भी है, वो है तुलसी और शालिग्राम शिला का विवाह कराना। 

उज्जैन. शालिग्राम को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है और तुलसी को उनकी पत्नी। इसलिए भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। पूरे कार्तिक मास में तुलसी को दीपक लगाने की परंपरा भी है। आखिर क्यों हिंदू धर्म में तुलसी को इतना महत्व दिया गया है। इसके पीछे का कारण सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी है, जो इस प्रकार है...

हिंदू धर्म में इसलिए तुलसी को मानते हैं इतना पवित्र…
- हमारे पूर्वज तुलसी के औषधीय गुणों के बारे में जानते थे, इसलिए उन्होंने इसे धर्म से जोड़ दिया। ताकि सभी लोग अपने-अपने घरों में तुलसी का पौधा जरूर लगाएं।
- मेडिकल साइंस ने भी माना है कि तुलसी के पौधे में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल व एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में शरीर को सक्षम बनाते हैं।
- तुलसी के इन्हीं गुणों के कारण घर में बैक्टीरिया-वायरस नहीं पनप पाते। यही बीमारियों के प्रमुख कारण होते हैं।
- तुलसी का पौधा घर में होने से घर का वातारण शुद्ध होता है और परिवार के लोग भी स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं।
- अध्ययनों से पता चला है कि तुलसी में मौजूद विभिन्न रासायनिक योगिक शरीर में संक्रमण से लड़ने वाली एंटीबॉडी के उत्पादन में 20% तक की वृद्धि करते हैं। तुलसी की पत्तियों में मौजूद विटामिन ए में एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है।

तुलसी के 5 औषधीय फायदे
1.
नियमित रूप से तुलसी की चाय पीने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे सर्दी, खाँसी, जुकाम, फ्लू, वायरल अपना असर नहीं दिखा पाते।
2. तुलसी के पत्ते मुंह में रखने से दुर्गंध दूर होती है, लेकिन तुलसी के पत्ते दांतों से चबाना नहीं चाहिए। इससे दांतों को नुकसान हो सकता है।
3. तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी से गरारे करने से गले की खराश दूर होती है।
4. उल्टी और जी मचलाना जैसी सामान्य समस्याओं में भी तुलसी बहुत फायदेमंद है। इसके पत्ते मुंह में रखने से इन प्रॉब्लम में राहत मिलती है।
5. लगभग सभी कफ सीरप को बनाने में तुलसी का इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी की पत्तियां कफ साफ करने में मदद करती हैं।