सार
उज्जैन। हिंदू धर्म में विवाह के बाद महिलाओं को अनेक रीति-रिवाजों का पालन करना पड़ता है व आभूषण जैसे बिछिया व मंगलसूत्र पहनने पड़ते हैं। इन परंपराओं के पीछे वैज्ञानिक कारण भी छिपे होते हैं। किसी भी महिला के लिए शादी के बाद गले में मंगलसूत्र पहनना अनिवार्य परंपरा है। ये सोलह श्रृंगार में से एक है। मंगलसूत्र सिर्फ गहना मात्र नहीं है, इसके कुछ और लाभ भी हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार जानिए महिलाओं को मंगलसूत्र से जुड़ी खास बातें...
पुरानी परंपरा के अनुसार शादी के बाद महिलाओं को बहुत सी श्रृंगार सामग्री लगाना और गहने पहनना अनिवार्य है। मंगलसूत्र भी उन्ही में से एक है। मंगलसूत्र धागे में पिरोए काले मोती और सोने के पेंडिल से बना होता है।
हर स्त्री को मंगलसूत्र विवाह के समय पति द्वारा पहनाया जाता है। जिसे वह स्त्री पति की मृत्यु के बाद ही उतारती है। ये अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। मंगलसूत्र का खोना या टूटना अशुभ माना जाता है।
मंगलसूत्र का धार्मिक महत्व के साथ ही कुछ और महत्व भी हैं। मंगलसूत्र अन्य लोगों के लिए एक संकेत होता है कि जिस महिला में मंगलसूत्र पहन रखा है, वह विवाहित है।
विवाहित स्त्री जहां जाती है, वहां दूसरों की बुरी नजरों से बचाने के काम मंगलसूत्र के काले मोती करते हैं।
इसमें लगे सोने के पेंडिल का भी विशेष महत्व है। सोना तेज और ऊर्जा का प्रतीक है। इसीलिए सोने के पेंडिल से महिला को ऊर्जा मिलती है। आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म का कई दवाओं में उपयोग किया जाता है।
जो लाभ स्वर्ण भस्म के सेवन से मिलता है, वैसा ही लाभ सोने के आभूषण पहनने से भी मिलता है। सोने का पेंडिल लगातार महिला के शरीर के संपर्क में रहता है, जिससे उसे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।