सार

आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। इस बार यह तिथि 5 जुलाई, सोमवार को है। मान्यता है कि ये व्रत करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

उज्जैन. पद्म पुराण के मुताबिक योगिनी एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली है। इस दिन व्रत करने से हर तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियां खत्म होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस व्रत का फल 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के पुण्य के समान है।

भगवान कृष्ण ने सुनाई थी कथा
इस व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को एक कथा सुनाई थी। जिसमें राजा कुबेर के श्राप से कोढ़ी होकर हेममाली नामक यक्ष मार्कण्डेय ऋषि केआश्रम में जा पहुंचा। ऋषि ने उन्हें योगिनी एकादशी व्रत करने की सलाह दी। यक्ष ने ऋषि की बात मान कर व्रत किया और दिव्य शरीर धारण कर स्वर्गलोक चला गया।

सादा भोजन और कथा सुनना
- योगिनी एकादशी का व्रत करने वाले को दशमी तिथि की रात से ही तामसिक भोजन छोड़कर सादा खाना खाना चाहिए।
- अगले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति रखकर उनकी पूजा करें।
- ध्यान रहे कि इस दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरूर सुननी चाहिए।इस दिन दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है।
- इस एकादशी भगवान विष्णु के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा का भी विधान है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- योगिनी एकादशी का व्रत करने से सारे पाप मिट जाते हैं और जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है।
- योगिनी एकादशी का व्रत करने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है।
- यह माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करना 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है।
- इस एकादशी पर जरूरतमंद लोगों और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। अगले दिन सूर्योदय के समय ईष्ट देव को भोग लगाकर, दीप जलाकर और प्रसाद का वितरण कर व्रत खोलें।