खाटूश्यामजी बर्थडे: करें भगवान खाटू श्याम की आरती और चालीसा का पाठ, दूर होगी हर परेशानी

khatu shyam birthday 2022: इस बार 4 नवंबर, शुक्रवार को देवउठनी एकादशी है। इस दिन भगवान खाटू श्याम का जन्मदिवस भी बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान खाटू श्याम पांडु पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच्छ के पुत्र थे। भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हें अपना नाम दिया है।
 

Manish Meharele | Published : Nov 4, 2022 3:57 AM IST

उज्जैन. देवउठनी एकादशी (khatu shyam birthday 2022) का पर्व पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 4 नवंबर, शुक्रवार को है। इस मौके पर भगवान खाटू श्याम का जन्मदिवस मनाने की परंपरा भी है। महाभारत के अनुसार भगवान खाटू श्याम भीम के पोते और घटोत्कच्छ के पुत्र थे। इनका मूल नाम बर्बरीक है। भगवान श्रीकृष्ण ने कहने पर इन्होंने अपना शीश यानी मस्तक काट दिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने इन्हें अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। इसलिए इन्हें श्याम नाम से पूजा जाता है। इनका प्रसिद्ध मंदिर राजस्थान (Khatu Shyam Temple Rajasthan) के खाटू नामक जगह पर है। इसलिए इन्हें खाटू श्याम भी कहते हैं। भगवान खाटू श्याम के जन्म दिवस पर इनकी आरती व चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे आपकी हर कामना पूरी हो सकती है। आगे जानिए भगवान खाटू श्याम की आरती और चालीसा…

भगवान खाटू श्याम की आरती (Aarti of Lord Khatu Shyam)
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
रतन जड़ित सिंहासन,
सिर पर चंवर ढुरे ।
तन केसरिया बागो,
कुण्डल श्रवण पड़े ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
गल पुष्पों की माला,
सिर पार मुकुट धरे ।
खेवत धूप अग्नि पर,
दीपक ज्योति जले ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
मोदक खीर चूरमा,
सुवरण थाल भरे ।
सेवक भोग लगावत,
सेवा नित्य करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
झांझ कटोरा और घडियावल,
शंख मृदंग घुरे ।
भक्त आरती गावे,
जय-जयकार करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
जो ध्यावे फल पावे,
सब दुःख से उबरे ।
सेवक जन निज मुख से,
श्री श्याम-श्याम उचरे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
श्री श्याम बिहारी जी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत भक्त-जन,
मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
जय श्री श्याम हरे,
बाबा जी श्री श्याम हरे ।
निज भक्तों के तुमने,
पूरण काज करे ॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥
ॐ जय श्री श्याम हरे,
बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत,
अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे...॥

खाटू श्याम चालीसा (Khatu Shyam Chalisa)
दोहा॥
श्री गुरु चरणन ध्यान धर,
सुमीर सच्चिदानंद।
श्याम चालीसा भजत हूं,
रच चौपाई छंद।

चौपाई
श्याम-श्याम भजि बारंबारा। 
सहज ही हो भवसागर पारा। 
इन सम देव न दूजा कोई। 
दिन दयालु न दाता होई। 
भीम सुपुत्र अहिलावती जाया। 
कही भीम का पौत्र कहलाया। 
यह सब कथा कही कल्पांतर। 
तनिक न मानो इसमें अंतर। 
बर्बरीक विष्णु अवतारा। 
भक्तन हेतु मनुज तन धारा। 
वासुदेव देवकी प्यारे। 
यशुमति मैया नंद दुलारे। 
मधुसूदन गोपाल मुरारी। 
वृजकिशोर गोवर्धन धारी। 
सियाराम श्री हरि गोबिंदा। 
दीनपाल श्री बाल मुकुंदा। 
दामोदर रण छोड़ बिहारी। 
नाथ द्वारिकाधीश खरारी। 
राधावल्लभ रुक्मिणि कंता। 
गोपी बल्लभ कंस हनंता। 
मनमोहन चित चोर कहाए। 
माखन चोरि-चारि कर खाए। 
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा। 
कृष्ण पतित पावन अभिरामा। 
मायापति लक्ष्मीपति ईशा। 
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा। 
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा। 
दीनबंधु भक्तन रखवारा। 
प्रभु का भेद कोई न पाया। 
शेष महेश थके मुनियारा। 
नारद शारद ऋषि योगिंदर। 
श्याम-श्याम सब रटत निरंतर। 
कवि कोविद करी सके न गिनंता। 
नाम अपार अथाह अनंता। 
हर सृष्टी हर युग में भाई। 
ले अवतार भक्त सुखदाई। 
ह्रदय माहि करि देखु विचारा। 
श्याम भजे तो हो निस्तारा। 
कीर पड़ावत गणिका तारी। 
भीलनी की भक्ति बलिहारी। 
सती अहिल्या गौतम नारी। 
भई श्रापवश शिला दुलारी। 
श्याम चरण रज चित लाई। 
पहुंची पति लोक में जाही। 
अजामिल अरु सदन कसाई। 
नाम प्रताप परम गति पाई। 
जाके श्याम नाम अधारा। 
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा। 
श्याम सुलोचन है अति सुंदर। 
मोर मुकुट सिर तन पीतांबर। 
गल वैजयंति माल सुहाई। 
छवि अनूप भक्तन मन भाई। 
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती। 
श्याम दुपहरि अरू परभाती। 
श्याम सारथी जिसके रथ के। 
रोड़े दूर होए उस पथ के। 
श्याम भक्त न कहीं पर हारा। 
भीर परि तब श्याम पुकारा। 
रसना श्याम नाम रस पी ले। 
जी ले श्याम नाम के हाले। 
संसारी सुख भोग मिलेगा। 
अंत श्याम सुख योग मिलेगा। 
श्याम प्रभु हैं तन के काले। 
मन के गोरे भोले-भाले। 
श्याम संत भक्तन हितकारी। 
रोग-दोष अघ नाशै भारी। 
प्रेम सहित जे नाम पुकारा। 
भक्त लगत श्याम को प्यारा। 
खाटू में हैं मथुरा वासी। 
पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी। 
सुधा तान भरि मुरली बजाई। 
चहुं दिशि जहां सुनि पाई। 
वृद्ध-बाल जेते नारी नर। 
मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर। 
दौड़ दौड़ पहुंचे सब जाई। 
खाटू में जहां श्याम कन्हाई। 
जिसने श्याम स्वरूप निहारा। 
भव भय से पाया छुटकारा।


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