हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य से पहले भगवान की पूजा अवश्य की जाती है। पूजा के अंत में आरती करने की परंपरा भी है। आरती से जुड़ी कई नियम भी हमारे धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है।
उज्जैन. हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य से पहले भगवान की पूजा अवश्य की जाती है। पूजा के अंत में आरती करने की परंपरा भी है। मान्यता है कि पूजा के बाद आरती न हो तो पूजा का फल आधा ही रह जाता है। आरती करने से दाम्पत्य जीवन में सुख और सौभाग्य आता है और घर में समृद्धि बढ़ती है। आरती से जुड़ी कई नियम भी हमारे धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है। आगे जानिए कैसे करें भगवान की आरती और किन बातों का रखें खास ध्यान…
आरती के लिए जरूरी चीजें
आरती के लिए शुद्ध कपास यानी रूई से बनी घी की बत्ती होनी चाहिए। तेल की बत्ती का उपयोग करने से बचें। कपूर आरती भी की जाती है। बत्तियों की संख्या 1, 9, 11, 21 हो सकती है।
आरती शुरू करने से पहले ये करें
- आरती से पहले गणेशजी को मंत्रों से 3 बार पुष्पांजलि दें। फिर 3 बार शंख बजाएं।
- शंख बजाते समय मुंह ऊपर की ओर रखें और धीमें स्वर से शुरू करते हुए धीरे-धीरे बढ़ाएं। इसके बाद आरती शुरू करें।
- आरती शुरू करने से पहले ये मंत्र बोलें:
चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च।
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम।।
इस विधि से करें आरती
- आरती करते समय सबसे पहले भगवान की मूर्ति के चरणों में चार बार घुमाएं, दो बार नाभि वाले हिस्से पर, एक बार चेहरे पर और सात बार पूरी मूर्ति पर घुमाएं। इस तरह चौदह बार आरती घुमानी चाहिए।
- आरती के बाद ये मंत्र बोलें
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
इन बातों का रखें ध्यान
- आरती, घड़ी के कांटों की दिशा में लयबद्ध तरीके से करनी चाहिए, बीच में रूकना नहीं चाहिए।
- आरती करते वक्त घंटी और ताली एक लय में बजाएं। झांझ, मझीरा, तबला, हारमोनियम भी बजा सकते हैं।
- आरती गाते हुए सूर और लय का ध्यान रखें। शब्दों की गलती न करें।
- आरती के बीच में बात न करें और न ही इधर-उधर देखना चाहिए।
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