16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खर मास शुरू हो जाएगा। इसी के साथ विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर भी रोक लग जाएगी। 14 जनवरी 2022 तक सूर्यदेव इसी राशि में रहेंगे, इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं हो पाएगा। इसके बाद जब सूर्य अगली राशि यानी मकर में प्रवेश करेंगे, खरमास समाप्त हो जाएगा।
उज्जैन. ज्योतिष के अनुसार मलमास में पूजा-पाठ तो किए जा सकते हैं, लेकिन विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। इस दौरान शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य नहीं होंगे। नया घर या वाहन आदि खरीदना भी शुभकारी नहीं माना गया है। धनु गुरु बृहस्पति की राशि है। मान्यता है कि सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि में भ्रमण करते हैं तो मनुष्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। इसलिए खर मास में मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है।
गधों ने खींचा सूर्यदेव का रथ इसलिए कहलाया खरमास
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन एक बार जब रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने से थक गए तो घोड़ों की ये हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें अहसास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। तालाब के पास दो खर मौजूद थे। सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोत लिया। गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में जद्दोजहद करने से रथ की गति हल्की हो गई और जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा कर पाए। घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया। इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है। इसीलिए हर साल खरमास लगता है।
खर मास का धार्मिक कारण
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धनु देवगुरु बृहस्पति की राशि है। जब भी सूर्यदेव इस राशि में प्रवेश करते हैं, ऐसा माना जाता है कि वे अपने गुरु की सेवा करने जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता क्योंकि मांगलिक कार्यों के लिए सूर्यदेव का होना बहुत जरूरी है और वे गुरु की सेवा छोड़कर शुभ कार्यों में उपस्थित नहीं हो पाते। इसलिए खर मास में शुभ कार्य नहीं किए जाते।