15 नवंबर को नींद से जागेंगे भगवान विष्णु, 18 को होगा हरि-हर मिलन, 19 को कार्तिक मास का अंतिम दिन

हिंदू पंचांग का आठवां महीना कार्तिक धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत ही विशेष है। 19 नवंबर को पूर्णिमा तिथि के साथ ही इस महीने का समापन हो जाएगा। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा खासतौर पर की जाती है। कार्तिक मास में कई ऐसे पर्व और उत्सव आते हैं जो भगवान विष्णु से संबंधित हैं।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 10, 2021 4:01 PM IST

उज्जैन. इस महीने में 15 नवंबर, सोमवार को देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2021) मनाई जाएगी। इसके बाद 18 नवंबर, गुरुवार को वैकुंठ चतुर्दशी (Baikuntha Chaturdashi 2021) और 19 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) रहेगी। ये तीनों ही उत्सव भगवान विष्णु से संबंधित हैं। इस पूरे महीने में दीपदान करने की परंपरा भी है। जो लोग पूरे महीने दीपदान नहीं कर पाएं तो वे सिर्फ पूर्णिमा तिथि पर ही दीपदान करें तो उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस महीने का नाम भगवान शिव-पार्वती के पुत्र कार्तिकेय से पड़ा है।

दीपदान से मिलती है लक्ष्मी कृपा
पुराणों में कार्तिक महीने के दौरान दीपदान करने का जिक्र है। साथ ही देव प्रबोधिनी एकादशी, वैकुंठ चतुर्दशी और कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है, क्योंकि दीपक अंधकार को दूर कर प्रकाश की ओर जाने का संदेश देता है।

देवउठनी एकादशी
इस बार देव उठनी एकादशी 14 को प्रारंभ होकर 15 नवंबर तक रहेगी। सूर्योदय व्यापिनी तिथि को ध्यान में रखकर पंडितों ने इसे 15 को ही मनाए जाने का उल्लेख किया है। इसी दिन भगवान विष्णु चार माह का विश्राम कर योग निद्रा से जागते हैं। जिससे चातुर्मास खत्म होगा और मांगलिक कामों की शुरुआत हो जाएगी।

वैकुंठ चतुर्दशी
ये पर्व 18 नवंबर, गुरुवार को है। इस दिन को हरिहर मिलन होना माना जाता है। यानी भगवान विष्णु और शिवजी का मिलते हैं और सृष्टि का भार सौंपते हैं। इस दिन किए गए स्नान-दान से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और जाने अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन किए गए तीर्थ स्नान से बीमारियां भी दूर होती है।

कार्तिक पूर्णिमा
ये पर्व 19 नवंबर, शुक्रवार को है। यह चंद्रदेव, विष्णु और लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने की श्रेष्ठ तिथि मानी गई है। इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन गंगा तट पर देवता दीप जलाकर स्वर्ग प्राप्ति का उत्सव मनाते हैं। ये कार्तिक मास का अंतिम दिन होता है। कई तीर्थ स्थानों पर इस दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं।

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