बैकुंठ चतुर्दशी 29 नवंबर को, इस दिन की जाती है भगवान शिव और विष्णु की पूजा, जानिए विधि और महत्व

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन बैकुंठाधिपति भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस बार यह पर्व 29 नवंबर, रविवार को है।

उज्जैन. ऐसी मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु सृष्टि का भार भगवान शंकर को सौंप देते हैं। इन चार मासों में सृष्टि का संचालन शिव ही करते हैं। चार मास सोने के बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं और बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शंकर सृष्टि का भार पुन: भगवान विष्णु को सौंपते हैं। इस दिन पूजन व व्रत इस प्रकार करना चाहिए

इस विधि से करें बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा...

इस दिन सुबह स्नान आदि से निपटकर दिनभर व्रत रखना चाहिए और रात में भगवान विष्णु की कमल के फूलों से पूजा करना चाहिए, इसके बाद भगवान शंकर की भी पूजा अनिवार्य रूप से करनी चाहिए। पूजा में इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

Latest Videos

विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्।
वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम।।

रात भर पूजा करने के बाद दूसरे दिन यानी कार्तिक पूर्णिमा (30 नवंबर, सोमवार) पर शिवजी का पुन: पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन करना चाहिए। बैकुंठ चतुर्दशी का यह व्रत शैवों व वैष्णवों की पारस्परिक एकता एकता का प्रतीक है।

कार्तिक पूर्णिमा की सुबह करें नदी स्नान और शाम को दीपदान...

कार्तिक मास की पूर्णिमा बड़ी पवित्र तिथि है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि ने इस तिथि को परम पुण्यदायी बताया है। इस दिन गंगा स्नान तथा शाम के समय दीपदान करने का विशेष महत्व है।
पुराणों के अनुसार, इस दिन किए गए दान, जप आदि का दस यज्ञों के समान फल प्राप्त होता है। इस दिन यदि कृत्तिका नक्षत्र हो तो यह महाकार्तिकी होती है, भरणी हो तो विशेष फल देती है और यदि रोहिणी हो तो इसका फल और भी बढ़ जाता है।
जो व्यक्ति पूरे कार्तिक मास स्नान करते हैं, उनका नियम कार्तिक पूर्णिमा को पूरा हो जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन श्रीसत्यनारायण व्रत की कथा सुनी जाती है। शाम के समय मंदिरों, चौराहों, पीपल के वृक्षों तथा तुलसी के पौधों के पास दीप जलाए जाते हैं और नदियों में दीपदान किया जाता है।

बैकुण्ठ चतुर्दशी का महत्व

एक बार देवऋषि नारद जी भगवान श्रीहरि यानी विष्णु से सरल भक्ति कर मुक्ति पा सकने का मार्ग पूछते हैं। नारद जी के कथन सुनकर श्री विष्णु जी कहते हैं कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को जो भी बैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत का पालन करते हैं। उनके लिए स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। भगवान विष्णु कहते हैं कि इस दिन जो भी भक्त मेरा पूजन करता है। वह बैकुण्ठ धाम को प्राप्त करता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बैकुण्ठ लोक के द्वार खुले रहते हैं।
 

Share this article
click me!

Latest Videos

कौन है 12 साल की सुशीला, सचिन तेंदुलकर ने बताया भविष्य का जहीर खान, मंत्री भी कर रहे सलाम
LIVE 🔴: "भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा" पर चर्चा
Jaipur tanker Blast CCTV Video: ट्रक का यूटर्न, टक्कर और आग, CCTV में दिखी अग्निकांड के पीछे की गलती
Exclusive: चश्मदीद ने बताया जयपुर अग्निकांड का मंजर, कहा- और भी भयानक हो सकता था हादसा!
कुवैत के लिए रवाना हुए मोदी, 43 साल के बाद पहली बार यहां जा रहे भारतीय PM