Bhai Dooj 2022: यहां बहनें भाई को देती हैं मरने का श्राप फिर करती हैं प्रायश्चित, क्या है ये अनोखी परंपरा?

Published : Oct 26, 2022, 09:53 AM IST
Bhai Dooj 2022: यहां बहनें भाई को देती हैं मरने का श्राप फिर करती हैं प्रायश्चित, क्या है ये अनोखी परंपरा?

सार

Bhai Dooj 2022: भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस पर्व से कई मान्यताएं और परंपराएं भी जुड़ी है। इस बार ये त्योहार 26 व 27 अक्टूबर को यानी दो दिन मनाया जाएगा। ऐसा तिथियों में घट-बढ़ के कारण होगा।  

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि को भाई दूज (Bhai Dooj 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 26 व 27 अक्टूबर यानी दो दिन मनाया जाएगा, क्योंकि दोनों ही दिन द्वितिया तिथि का संयोग बन रहा है। भाई दूज पर बहनें अपने को घर बुलाकर भोजन करवाती हैं और तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की कामना करती हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक जगह ऐसी भी जहां भाई दूज पर बहनें अपने भाई को मरने का श्राप देती हैं। ये एक परंपरा का हिस्सा है। आगे जानिए क्या है ये परंपरा…

पहले देती हैं मरने का श्राप और बाद में करती हैं प्रायश्चित
भाई दूज पर भाई को मरने का श्राप देने की परंपरा छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा निभाई जाती है। इस परंपरा के अनुसार, भाई दूज पर बहनें सुबह उठते ही खूब खरी-खोटी सुनाती हैं और इससे भी जब मन नहीं भरता तो वे भाई को मरने का श्राप भी देती हैं। बाद में बहने अनोखे तरीके से इसका प्रायश्चित भी करती हैं। इसके लिए वे अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं। ये एक एक परंपरा का हिस्सा है। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई की उम्र बढ़ती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

जानें परंपरा के पीछे की मान्यता
स्थानीय कथाओं के अनुसार, एक बार यमराज किसी ऐसे व्यक्ति के प्राण लेने धरती पर आए जिसकी बहन ने उसे कभी भला-बुरा न कहा हो या कभी कोई श्राप न दिया हो। काफी खोज करने के बाद यमराज को एक ऐसा व्यक्ति मिला, जिसकी बहन ने कभी उसे गाली या श्राप नहीं दिया था। यमराज उस व्यक्ति के प्राण ले जाने की योजना बनाने लगे। इस बारे में उसकी बहन को पता लगा तो उसने बिना कारण ही अपने भाई को खूब भला-बुरा कहा यहां तक की मरने का श्राप भी दे दिया। ऐसा होने के चलते यमराज उस व्यक्ति के प्राण नहीं हर सके। इसी कथा के अनुरूप इस अनोखी परंपरा का प्रचलन हुआ।


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