जब मेघनाद ने एक के बाद लक्ष्मण पर चलाए 3 सबसे भयंकर अस्त्र, फिर जो हुआ वो हैरान करने वाला था

वर्तमान समय में परमाणु बम को सबसे शक्तिशाली हथियार माना जाता है। ये बम कई किलोमीटर तक के क्षेत्र को तबाह कर सकता है। इससे निकलने वाली एनर्जी कई सौ सालों तक मानव जीवन को प्रभावित कर सकती है। ये सिर्फ बातें नहीं है हिरोशिमा-नागासाकी इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

Manish Meharele | Published : Jun 29, 2022 12:02 PM IST

उज्जैन. पुरातन में भी कई विध्वंसकारी अस्त्र हुआ करते थे, जिनका कोई तोड़ नहीं था। ऐसा ही एक अस्त्र था ब्रह्मास्त्र (brahmastra)। रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharata) सहित अन्य ग्रंथों में भी इस अस्त्र का वर्णन मिलता है। वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayana) के अनुसार, उस समय कई बार इस अस्त्र का उपयोग किया गया। Asianetnews Hindi ब्रह्मास्त्र (Brahmastra Series 2022) पर एक सीरीज चला रहा है। इस सीरीज में हम आपको बता रहे हैं कि इस अस्त्र का उपयोग कब, किसने और किस पर किया। आगे जानिए इससे जुड़ी खास बातें…

जब हुआ मेघनाद और लक्ष्मण का सामना
वाल्मीकि रामायण के अनुसार युद्ध में कई बार मेघनाद और लक्ष्मण का सामना हुआ। मेघनाद के पास कई दिव्य शक्तियां और वह मायावी भी था, इसी का फायदा उठाकर वह लक्ष्मण पर बाणों की बौछार करने लगा। साथ ही साथ वह श्रीराम की सेना का भी सफाया करने लगा। ये देख लक्ष्मण को क्रोध आ गया और वे श्रीराम के पास गए और उन्होंने मेघनाद पर ब्रह्मास्त्र चलाने की अनुमति मांगी। 

श्रीराम ने नही दी ब्रह्मास्त्र चलाने की अनुमति
श्रीराम ने लक्ष्मण की बात सुनी, लेकिन उन्हें ब्रह्मास्त्र का उपयोग करने से मना कर दिया। श्रीराम ने कहा कि इस शक्ति के प्रभाव से कई निर्दोष लोगों की जान भी चली जाएगी जो कि गलत है। भाई की आज्ञा मानकर लक्ष्मण पुन: मेघनाद से युद्ध करने लगे, तभी मेघनाद ने छल से उन पर शक्ति का प्रहार कर दिया, जिससे लक्ष्मणजी बेहोश हो गए। इसके बाद संजीवनी बूटि के प्रभाव से उन्हें दोबारा होश आया 

ऐसा हुआ लक्ष्मण और मेघनाद का अंतिम युद्ध
मेघनाद राम और लक्ष्मण को पराजित करना चाहता था, इसके लिए उसने एक विशेष अनुष्ठान करना चाहा, लेकिन विभीषण के सहयोग से हनुमानजी और अंगद आदि वीरों ने उस अनुष्ठान को पूरा नहीं होने दिया। क्रोधित मेघनाद जब रणभूणि में आया तो उसका सामना पुन: एक बार लक्ष्मण से हुआ। दोनों में फिर भयंकर युद्ध होने लगा। मेघनाद एक से बढ़कर एक दिव्यास्त्र चलाने लगा, लेकिन लक्ष्मण पर उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ।

जब मेघनाद ने लक्ष्मण पर चलाए 3 सबसे भयंकर अस्त्र
अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों को विफल होता देख मेघनाद ने एक के बाद एक 3 सबसे प्रलयकारी अस्त्रों का उपयोग किया। वह तीन अस्त्र थे ब्रह्मास्त्र, पाशुपाति अस्त्र व नारायण अस्त्र। ये अस्त्र भी जब लक्ष्मण का कुछ अहित नहीं कर पाए तो मेघनाद को अहसास हो गया कि लक्ष्मण कोई साधारण पुरुष नहीं है, वह साक्षात देवता का अवतार है। ये बात उसने रावण को जाकर भी बताई और पुन: रणभूमि में आ गया। इस बार लक्ष्मण ने एक ऐसा बाण चलाया कि मेघनाद का मस्तक कटकर भूमि पर आ गिरा। इस तरह मेघनाद का अंत हुआ।

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