Buddha Purnima 2022: ये हैं बुद्ध के जीवन से जुड़े 4 स्थान, इनमें से 2 यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज में है शामिल

आज (16 मई, सोमवार) वैशाख पूर्णिमा है। हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि ये वैशाख मास का अंतिम दिन होता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2022) का पर्व भी मनाया जाता है।

Manish Meharele | Published : May 16, 2022 3:10 AM IST

उज्जैन. ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध को इसी दिन बोधगया (वर्तमान बिहार का एक स्थान) पर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। कुछ ग्रंथों में बु्द्ध को भगवान विष्णु का अवतार भी कहा गया है। बुद्ध के जीवन काल से जुड़े कई स्थान आज भी काफी प्रसिद्ध है और यहां बुद्ध के मंदिर में बनवाए गए हैं। इनमें से कुछ स्थान यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है। आज बु्द्ध पूर्णिमा के मौके पर हम आपको ऐसे ही कुछ स्थानों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

लुंबिनी (नेपाल) (Lumbini (Nepal))
वर्तमान में नेपाल के कपिलवस्तु में लुंबिनी नाम की एक जगह है। मान्यता है कि यहीं गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। उनके पिता शुद्धोधन यहीं के राजा थे। यही वो जगह है जहां सम्राट अशोक ने अशोक स्तंभ स्थापित किया था। यहीं पर भगवान बुद्ध की माता माता मायादेवी के नाम का प्रसिद्ध मंदिर भी है। जिसे देखने दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं। बुद्ध से जुड़े और भी कई स्थान यहां देखे जा सकते हैं। इस स्थान का महत्व देखते हुए यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत सूची में शामिल किया है। 

महाबोधि विहार (बिहार) (Mahabodhi Vihar (Bihar)
मान्यता है कि जब सिद्धार्थ ज्ञान की खोज में बाहर निकले तो उन्होंने कई स्थानों पर तपस्या की, लेकिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति बिहार के बोधगया में एक बोधि वृक्ष के नीचे प्राप्त हुई। ये स्थान वर्तमान बिहार में बताया जाता है। इस स्थान पर विश्व प्रसिद्ध बौद्ध विहार है, जहां दूर-दूर से बौद्ध धर्म के अनुयायी आते हैं। यहां भी सम्राट अशोक ने मंदिर बनवाया था। ये स्थान भी यूनिस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है।

सारनाथ (उत्तर प्रदेश) (Sarnath (Uttar Pradesh)
कहते हैं कि ज्ञान प्राप्त करने के बाद भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश सारनाथ में दिया था, जो वर्तमान में काशी से लगभग 10 किमी दूर है। इसे बुद्ध से जुड़े सबसे पवित्र स्थानों में से एक कहा जाता है। यहां एक स्तूप स्थापित है। ऐसा कहा जाता है इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था। यहां दिए गए बुद्ध के पहले उपदेश को धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है।

कुशी नगर (उत्तर प्रदेश) (Kushi Nagar (Uttar Pradesh)
ये स्थान भी गौतम बुद्ध से जुड़ा है। ये स्थान उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लगभग 50 किमी दूर है। कहा जाता है इसी स्थान पर बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। यहां स्थित नदी को पार करने के बाद वन में रहते हुए बुद्ध ने अपना अंतिम समय बिताया था। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसी स्थान पर जाकर स्वयं को धन्य मानते हैं। ये स्थान बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के लिए परम पवित्र है। 

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