शुरू हो चुका है चैत्र मास, ब्रह्माजी ने इसी महीने की थी संसार की रचना, ये हैं इस महीने के तीज-त्योहार

हिंदू पंचांग का पहला महीना चैत्र 19 मार्च, शनिवार से शुरू हो चुका है। इस महीने में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022), श्रीराम नवमी (Shriram Navami 2022) आदि प्रमुख हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2022 6:42 AM IST / Updated: Mar 19 2022, 12:13 PM IST

उज्जैन. चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष का आरंभ भी होता है। इसी महीने से ग्रीष्म ऋतु का आरंभ भी होता है। आयुर्वेद के अनुसार, चैत्र महीने में खान-पान और जीवन शैली के संबंध कई सावधानी रखने की बात भी कही गई है। इसलिए इस महीने में शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami 2022) पर ठंडा भोजन करने की परंपरा भी बनाई गई है। आगे जानिए इस महीने से जुड़ी खास बातें और प्रमुख त्योहारों के बारे में…

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चैत्र माह का महत्व
अमावस्या के बाद चन्द्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर हर दिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15 वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूरा होता है, तब वह महीना चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्र कहलाता है। हिन्दू नववर्ष के चैत्र महीने से ही शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े।

इस महीने के प्रमुख त्योहार
गणेश चतुर्थी व्रत (21 मार्च, सोमवार): ये मासिक चतुर्थी व्रत है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की भी पूजा की जाती है।

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रंगपंचमी (11 मार्च, मंगलवार): ये त्योहार मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के मालवा में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं। इंदौर में इस दिन विशाल जुलूस निकाला जाता है।

शीतला सप्तमी (24 मार्च, गुरुवार) : इस दिन शीतला देवी की पूजा की जाती है। घरों में ताजा भोजन नहीं पकाया जाता। एक दिन पहले बनाया भोजन भी खाया जाता है। कुछ स्थानों पर अष्टमी तिथि पर भी ये पर्व मनाए जाने की पंरपरा है।

पापमोचनी एकादशी (28 मार्च, सोमवार): इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की विधान है। इस दिन व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

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प्रदोष व्रत (29 मार्च, मंगलवार): इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है। ये व्रत मंगलवार को होने से मंगल प्रदोष कहलाएगा।

चैत्र अमावस्या (1 अप्रैल, शुक्रवार): ये चैत्र मास की अमावस्या है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि कर्म किए जाते हैं। कई तीर्थ स्थानों पर इस दिन मेले भी लगते हैं।

गुड़ी पड़वा (2 अप्रैल, शनिवार): इस दिन से हिंदू नववर्ष आरंभ होता है। ये पर्व देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

चैत्र नवरात्रि (2 अप्रैल, शनिवार): इस बार चैत्र नवरात्रि 2 से 10 अप्रैल तक मनाई जाएगी। ये हिंदू नववर्ष की पहली नवरात्रि होती है। इसे बड़ी नवरात्रि भी कहते हैं। इन 9 दिनों में देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।

गणगौर तीज (4 अप्रैल, मंगलवार): इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। इसे ईसर-गौर भी कहते हैं। मुख्य रूप से त्योहार राजस्थान और इसके आस-पास के क्षेत्रों में मनाया जाता है।

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श्रीराम नवमी (10 अप्रैल, सोमवार): इस दिन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। राम मंदिरों को सजाया जाता है और विशेष आयोजन भी किए जाते हैं। ये चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन होता है।

कामदा एकादशी (12 अप्रैल, मंगलवार): इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत किया जाता है। 

हनुमान प्रकटोत्सव (16 अप्रैल, शनिवार): इस दिन भगवान हनुमान का जन्मोत्सव बड़े ही धूम-धाम से पूरे देश में मनाया जाता है। मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं।


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