जब पूरा भारत अलग-अलग खंडों में बंटा हुआ था, तब आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों से पूरे भारत को एक किया था। एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को अखंड भारत का सम्राट बनाया।
उज्जैन. चाणक्य ने एक ऐसे ग्रंथ की रचना की थी, जिसमें सुखी जीवन के सूत्र बताए गए हैं। इस ग्रंथ का नाम है चाणक्य नीति। चाणक्य नीति के सूत्रों को जीवन में उतार लेने से बड़ी-बड़ी परेशानियां भी दूर हो सकती हैं। आचार्य चाणक्य ने एक नीति में बताया है कि हमें किस-किस पर भरोसा नहीं करना चाहिए ताकि जीवन सुखमय बना रहे।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
नदीनां शस्त्रपाणीनां नखीनां श्रृंगीणां तथा।
विश्वासो नैव कर्तव्य: स्त्रीषु राजकुलेषु च।।
अर्थात
1. जिन नदियों के पुल कच्चे हैं, जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, उस नदी पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये कोई नहीं जान सकता कि कब नदी का बहाव तेज हो जाए और जिससे हमारे प्राणों का संकट खड़ा हो सकता है।
2. शस्त्रधारियों पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। शस्त्रधारी कभी भी क्रोध में आ सकता है और हमारे विरुद्ध शस्त्र का प्रयोग कर सकता है।
3. जिन जानवरों के नाखुन और सींग नुकिले होते हैं उन पर विश्वास करने वाले को जान का जोखिम बन सकता है। जानवर कभी भी भड़क सकते हैं और हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं।
4. आचार्य चाणक्य के अनुसार चंचल स्वभाव की स्त्रियों पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसी स्त्रियां अपनी बातों पर टिक नहीं पाती हैं और समय-समय पर अपने विचार बदलती रहती हैं।
5. किसी राज्यकुल यानी शासकीय सेवाओं से जुड़े व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों को भरोसा करके अगर हम अपने राज की बातें इन्हें बता देंगे तो ये उन बातों का हमारे खिलाफ उपयोग कर सकते हैं।