चाणक्य नीति: गुरु सहित इन 4 लोगों का भी पिता की तरह आदर-सम्मान करना चाहिए

आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र, कूटनीति और राजनीति में कुशल थे। इनके द्वारा कई महत्वपूर्ण शास्त्र लिखे गए, जिसमें से नीतिशास्त्र की बातें आज भी प्रासंगिक हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jun 7, 2021 3:15 AM IST / Updated: Jun 07 2021, 10:07 AM IST

उज्जैन. आचार्य चाणक्य के अनुसार, आपके जीवन को सुखमय और उज्वल बनाने के लिए एक पिता अपने दिन रात एक कर देता है, इसलिए सदैव अपने पिता का सम्मान करें। नीतिशास्त्र में पिता के अलावा भी चार ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है जिनका सदैव पिता के समान सम्मान करना चाहिए। आगे जानिए कौन हैं वो 4 लोग…

ज्ञान देने वाला गुरू
किसी भी व्यक्ति के जीवन में गुरू का स्थान हमेशा पिता समान होता है। जहां पिता अपनी संतान का भविष्य संवारने के लिए दिन-रात मेहनत करता है तो वहीं गुरू अपने ज्ञान से उसका भविष्य संवारता है। नीतिशास्त्र कहता है कि एक शिष्य को हमेशा अपने गुरू का सम्मान पिता की तरह करना चाहिए।

यज्ञोपवीत धारण कराने वाला पुरोहित
यज्ञोपवीत 16 संस्कारों में से बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार यज्ञोपवीत एक तरह से व्यक्ति का दूसरा जन्म होता है, इसलिए यज्ञोपवीत कराने वाला पुरोहित पिता के समान माना जाता है जो पुरोहित आपका यज्ञोपवीत करवाए उसका सम्मान सदैव पिता के समान करना चाहिए।

घर से दूर ध्यान रखने वाला
यदि आप अपने घर से दूर परदेस में हैं उस स्थान पर जो व्यक्ति आपके खाने-पीने और रहने की व्यवस्था करता है और अंजान स्थान पर आपका ध्यान रखता है उसका स्थान आपके पिता के समान हो जाता है। ऐसे में यदि आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति होता है तो सदैव उसका एहसान रखना चाहिए और हमेशा उसका सम्मानकरना चाहिए।

संकट में प्राण बचाने वाला
संकट आने पर एक पिता अपनी संतान की हर प्रकार से रक्षा करता है इसी तरह यदि संकट की घड़ी में कोई व्यक्ति हमारे प्राण बचाता है वह एक तरह से हमारे पिता के समान हो जाता है, इसलिए जो व्यक्ति आपके प्राणों की रक्षा करें उसे कभी नहीं भूलना चाहिए।

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