उत्तर भारत में किया जाने वाला छठ पर्व (Chhath Puja 2021) हिंदू धर्म के सबसे छठ व्रतों में से एक है। इस व्रत में 36 घंटे तक निर्जला (बिना कुछ खाए-पिए) रहना पड़ता है। वैसे तो छठ व्रत में 100 से अधिक सामग्रियों की जरूरत होती है, लेकिन जिसके पास कुछ भी नहीं है तो भी वह सिर्फ जल से अर्घ्य देकर व्रत को संपन्न कर सकता है।
उज्जैन. छठ (Chhath Puja 2021) का मुख्य प्रसाद 'ठेकुआ' है जो गेहूं के आटे और गुड़ के मिश्रण से बनता है। यह भी प्रकृति की देन है। यह अर्पण भाव ही स्वीकार है कि प्रकृति में जो कुछ है, सब सर्वशक्तिमान सूर्य के कारण है। सूर्य को समर्पित है। इस व्रत में सूर्यदेव को अनेक चीजें चढ़ाई जाती हैं। छठ में वही खाद्य वस्तुएं अर्पित होती हैं जो सूर्य किरणें अवशोषित कर प्रकृति हमें प्रदान करती है। सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं। छठ महज एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, इसमें आयुर्वेद भी निहित है। व्रती (व्रत करने वाला) शारीरिक और मानसिक रूप से इसके लिए तैयार होता है।
1. सुथनी- ये एक प्रकार का कंद है जो शकरकंद परिवार से आता है। हालांकि इसका स्वाद शकरकंद के सामान मीठा नहीं होता, फिर भी यह कठिन परिश्रम करने वाले लोगों को लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है। ये भूख नियंत्रित करता है। अल्सर, जलन व सूजन में भी कारगर है। इसमें पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं।
2. सिंघाड़ा- ये पानी में उगने वाले एक फल है। आयुर्वेद में इसका विशेष महत्व बताया गया है। ये फल दमा व बवासीर में काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें कैल्शियम व आयोडीन काफी मात्रा में पाया जाता है। थायरॉयड रोग में भी ये फल काफी फायदेमंद रहता है।
3. हल्दी- इसका उपयोग लगभग हर धार्मिक कार्य में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। ये लीवर के लिए फायदेमंद तथा दाग व झुर्रियां मिटाने में सक्षम होती है।
4. मूली- ये एक सब्जी है। ये आयरन का बहुत अच्छा स्रोत है। मूली आपकी भूख को बढ़ाती है और आपके पाचन तंत्र को बेहतर कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। इसमें भूख, पेट के कीड़े, पाइल्स और सूजन ठीक करने के औषधीय गुण होते हैं।
5. सीताफल (शरीफा)- छठ पूजा में इसे भी चढ़ाते हैं। सीताफल का उपयोग कफ दोष को ठीक करने के लिए, खून की मात्रा को बढ़ाने के लिए किया जाता है। ये फल विटामिन-सी व ए पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, तांबा व फाइबर युक्त होता है।
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