सार
इस बार 10 नवंबर, बुधवार को छठ पर्व (Chhath Puja 2021) मनाया जाएगा। इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे और अगले दिन यानी 11 नवंबर, गुरुवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन हो जाएगा। इन दोनों ही दिनों में सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाएगा।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्यदेव के रोजाना किए जाने वाले पूजन में आवाहन और आसन आदि की जरूरत नहीं होती। सूर्य ऐसे देवता हैं जो प्रत्यक्ष ही दिखाई देते हैं। सूर्य की किरणों में सकारात्मक प्रभाव बहुत अधिक होता है, जो कि शरीर को भी स्वास्थ्य लाभ पंहुचाती हैं। सूर्यदेव की पूजा से ग्रह दोष का अशुभ प्रभाव कम होता है और परेशानियां भी। छठ पर्व पर पहले अस्त होते और अगले दिन उगते हुए सूर्य की इस विधि से करें पूजा…
सूर्यदेव की पूजन विधि
- सूर्य पूजन के लिए तांबे की थाली और तांबे के लोटे का उपयोग करें। लाल चंदन और लाल फूल की व्यवस्था रखें। एक दीपक लें। लोटे में जल लेकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन का पाउडर मिला लें। लोटे में लाल फूल भी डाल लें। थाली में दीपक और लोटा रख लें।
- अब ऊँ सूर्याय नमः मंत्र का जप करते हुए सूर्य को प्रणाम करें। लोटे से सूर्य देवता को जल चढ़ाएं। सूर्य मंत्र का जप करते रहें। इस प्रकार से सूर्य को जल चढ़ाना सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना कहलाता है। ऊँ सूर्याय नमः अर्घ्य समर्पयामि कहते हुए पूरा जल समर्पित कर दें।
- अर्घ्य समर्पित करते समय नजरें लोटे के जल की धारा की ओर रखें। जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में जल की धारा में दिखाई देगा। सूर्य को अर्घ्य समर्पित करते समय दोनों भुजाओं को इतना ऊपर उठाएं कि जल की धारा में सूर्य का प्रतिबिंब दिखाई दे। सूर्य देव की आरती करें। सात प्रदक्षिणा करें व हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
ये उपाय करें…
1. छठ के दिन गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना शुभ रहता है। अगर सूर्यदेव को प्रसन्न करना हो तो पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए। ये उपाय करने से भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं।
2. छठ पर्व पर तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा बहते जल में प्रवाहित करने से कुंडली में स्थित सूर्य दोष कम होता है। इसके साथ-साथ लाल कपड़े में गेहूं व गुड़ बांधकर दान देने से भी व्यक्ति की हर इच्छा पूरी हो सकती है।
3. छठ पर्व की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूर्व दिशा में मुख करके कुश के आसन पर बैठें। अपने सामने बाजोट (पटिए) पर सफेद वस्त्र बिछाएं और उसके ऊपर सूर्यदेव का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद सूर्यदेव की पंचोपचार पूजा करें और गुड़ का भोग लगाएं। पूजा में लाल फूल का उपयोग अवश्य करें। इसके बाद लाल चंदन की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें।
मंत्र- ऊं भास्कराय नम:
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