मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं भगवान चित्रगुप्त, 20 मार्च को इस विधि से करें इनकी पूजा

धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं और सभी प्राणियों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब अपने बहीखाते में लिखते हैं और जब उस प्राणी की मृत्यु हो जाती है वो ये हिसाब यमराज के सामने रखते हैं।
 

उज्जैन. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान चित्रगुप्त (Lord Chitragupta) की पूजा करने का विधान है। इस बार ये तिथि 20 मार्च को है। भगवान चित्रगुप्त के खाते को देखकर यमराज तय करते हैं कि किसकी आत्मा स्वर्ग में जाएगी और किसकी नर्क की यातनाएं सहेगी। वैसे तो भगवान चित्रगुप्त की पूजा (Chitragupta Puja) सभी लोग करते हैं, लेकिन कायस्थ समाज द्वारा मुख्य रूप से भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन दवात, कागज और पेन की पूजा भी की जाती है। 

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इस विधि से करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा
- पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी यानी लकड़ी के पटिए पर भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर को रखें। पटिए के ऊपर कोई कपड़ा जरूर रखें।
- इसके बाद श्रद्धापूर्वक भगवान चित्रगुप्त को चावल, कुमकुम, सिन्दूर, फूल, धूप-दीप और मिष्ठान चढ़ाएं। 
- इसके बाद एक नया पेन भी भगवान चित्रगुप्त के सामने रखें। इसके बाद सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ओम चित्रगुप्ताय नमः लिखे। सबसे आखिर में भगवान चित्रगुप्त की आरती करें।
- चित्रगुप्त की पूजा के फल स्वरुप नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है तथा सभी पाप नष्ट होते हैं। साहस, शौर्य, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

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चित्रगुप्त कैसे रखते हैं मनुष्यों के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब
- गरुड़ पुराण के अनुसार, हर मनुष्य के आस-पास श्रवण नामक गण रहते हैं। ये किसी को दिखाई नहीं देते। ये स्वर्गलोक, मृत्युलोक, पाताललोक आदि में भ्रमण करते हैं और मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों को देखते हैं। जब यमदूत किसी आत्मा को यमलोक ले जाते हैं तो सबसे पहले वे यमपुरी के द्वार पर स्थित द्वारपाल को इसकी सूचना देते हैं। 
- द्वारपाल चित्रगुप्त को बताते हैं और चित्रगुप्त जाकर यमराज को कहते हैं। तब यमराज चित्रगुप्त से उस पापात्मा के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब पूछते हैं। तब चित्रगुप्त श्रवण नाम के गणों से उस पापात्मा के विषय में जानकारी लेते हैं। इस संसार में जो प्राणी अच्छे या बुरे कर्म सबके सामने या गुप्त रूप से करते हैं, उसको श्रवण नाम के देवगण चित्रगुप्त से कहते हैं। 
- व्रत, दान, सत्यपालन आदि से कोई भी पुरूष श्रवण को प्रसन्न करे तो श्रवण गण उस मनुष्य को स्वर्ग तथा मोक्ष देने वाले हो जाते हैं। सत्य बोलने वाले धर्मराज के श्रवण पापी पुरुषों के पाप को जानकर यमराज से कह देते हैं, उन पर विचार करने के बाद ही यमराज पापियों को दंड देते हैं।
 

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