Devshayani Ekadashi: भगवान विष्णु ने इसी दिन किया था शंखासुर राक्षस का वध, इस दिन क्या खाने से बचना चाहिए?

आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। ये पर्व आज (20 जुलाई, मंगलवार) है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में रहते हैं। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 20, 2021 6:14 AM IST / Updated: Jul 20 2021, 11:54 AM IST

उज्जैन. आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। ये पर्व आज (20 जुलाई, मंगलवार) है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में रहते हैं। इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत मानी जाती है। कुछ जगहों पर इस तिथि को पद्मनाभा भी कहा जाता है। पुराणों का कहना है कि इन दिनों भगवान विष्णु, राजा बलि के द्वार पर रहते हैं और इस दिन से चार महीने (चातुर्मास) बाद कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी को वापस जागते हैं।

पुराणों में देवशयनी एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाता है और चार महीने के लिए मांगलिक काम और कुछ संस्कार कर्म रुक जाते हैं। हालांकि पूजन, अनुष्ठान, मरम्मत करवाए गए घर में प्रवेश, वाहन और आभूषण खरीदी जैसे काम किए जा सकते हैं। चातुर्मास के दौरान स्नान-दान, व्रत-उपवास और तप किए जाते हैं। भागवत महापुराण के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शंखासुर राक्षस मारा गया था। उस दिन से भगवान चार महीने तक क्षीर समुद्र में सोते हैं।

देवशयनी व्रत का फल
ब्रह्मवैवर्त पुराण में देवशयनी एकादशी व्रत को बहुत खास माना गया है। इस एकादशी को सौभाग्यदायिनी एकादशी कहा जाता है। पद्म पुराण के अनुसार इस दिन व्रत या उपवास रखने से जाने-अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से मनोकामना भी पूरी होती है। व्रत करने वाले के जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और श्रद्धा के मुताबिक किए गए दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है। इस दिन व्रत करने से उम्र बढ़ती है और शारीरिक परेशानियां भी कम होने लगती है।

चावल खाने से नहीं मिलता व्रत का फल
इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए। एकादशी पर चावल खाने से व्रत का फल नहीं मिलता है। अच्छी सेहत चाहने वालों को इस दिन गुड़ नहीं खाना चाहिए। लंबी उम्र या संतान चाहने वाले लोगों को इस दिन तेल मालिश नहीं करवानी चाहिए। तला-गला खाने का त्याग करने से समृद्धि बढ़ती है। वहीं इस दिन सूर्योदय के बाद तक और दिन में नहीं सोना चाहिए। झूठ न बोलें। मांस, शहद और अन्य तामसिक चीजों दही और चावल आदि का सेवन करना, मूली, पटोल और बैंगन आदि का त्याग करना चाहिए।

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