Narak Chaturdashi 2021: नरक और रूप चतुर्दशी से जुड़ी हैं कई कथाएं और मान्यताएं, इसे कहते हैं छोटी दीपावली

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2021) या रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 3 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार,  इस दिन नरक की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए प्रात:काल तेल लगाकर अपामार्ग के पौधे सहित जल से स्नान किया जाता है। इसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 2, 2021 6:07 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 10:06 AM IST

उज्जैन. कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर शाम को यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान किया जाता है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस कारण भी इसे नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2021) कहा जाता है। दीपावली के एक दिन पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है। कुछ स्थानों पर इस दिन हनुमान प्रकटोत्सव भी मनाया जाता है यानी इसी तिथि पर हनुमानजी का जन्म हुआ था। इस पर्व से और भी कई कथाएं, मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हैं।

नरक चतुर्दशी की कथा
- प्राचीन काल में रंतिदेव नाम के एक राजा थे। वे बहुत ही दानवीर थे। मृत्यु होने पर जब यमदूत उन्हें नरक ले जाने लगे तो उन्होंने कहा कि- मैं तो सदैव दान-दक्षिणा तथा सत्कर्म करता रहा हूं फिर मुझे नरक में क्यों ले जाना चाहते हो?
- यमदूतों ने बताया कि- एक बार तुम्हारे द्वार से भूख से व्याकुल ब्राह्मण खाली लौट गया था इसलिए तुम्हें नरक में जाना पड़ेगा। यह सुनकर राजा ने यमदूतों से विनती की कि मेरी आयु एक वर्ष और बढ़ा दी जाए। यमदूतों ने ऐसा ही किया।
- तब राजा ने ऋषियों से इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। ऋषियों ने बताया कि- तुम कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर व्रत रखकर श्रीकृष्ण का पूजा करना। ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर अपने अपराध की क्षमा मांगना। इससे तुम पाप मुक्त हो जाओगे। राजा ने ऐसा ही किया और विष्णु लोक को चले गए।


रूप चतुर्दशी की कथा
- एक समय भारतवर्ष में हिरण्यगर्भ नामक नगर में एक योगीराज रहते थे। उन्होंने अपने मन को एकाग्र करके भगवान में लीन होना चाहा। उन्होंने समाधि लगा ली। समाधि को कुछ ही दिन बीते थे कि उनके शरीर में कीड़े पड़ गए। आंखों के रौओं, भौहों पर और सिर के बालों में जुएं हो गई। इससे योगीराज दुखी रहने लगे।
- उसी समय नारदमुनि वहां आए। योगीराज ने नारदमुनि से पूछा मैं समाधि में था, किंतु मेरी यह दशा क्यों हो गई। तब नारदजी ने कहा- हे योगीराज! तुम भगवान का चिंतन तो करते हो किंतु देह आचार का पालन नहीं करते। इसलिए तुम्हारी यह दशा हुई है। योगीराज ने देह आचार के विषय में नारदजी से पूछा।
- नारद मुनि बोले- देह आचार के विषय में जानने से अब कोई लाभ नहीं। पहले तुम्हें जो मैं बताता हूं वह करो। इस बार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर आप भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और व्रत करना। ऐसा करने से तुम्हारा शरीर पहले जैसा हो जाएगा। योगीराज ने ऐसा ही किया और उनका शरीर पहले जैसा स्वस्थ और सुंदर हो गया। उसी दिन से इस चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी कहते हैं।

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