क्या रावण सचमुच अजेय था? जानिए रावण से जुड़ी ऐसी ही 5 अनसुनी और अनजानी रोचक बातें

इस बार विजयादशमी का पर्व 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया था।

उज्जैन. रावण से जुड़े मिथ हमारे समाज में प्रचलित है, लेकिन उनके पीछे की सच्चाई बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको रावण से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथ और उससे जुड़ी सच्चाई के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है-

झूठ 1- रावण बहुत संयमी था, उसने कभी सीता को हाथ नहीं लगाया।
सच- रावण ने सीता को बलपूर्वक इसलिए हाथ नहीं लगाया क्योंकि उसे कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने श्राप दिया था कि यदि रावण ने किसी स्त्री को उसकी इच्छा के विरुद्ध छुआ या अपने महल में रखा तो उसके सिर के सौ टुकड़े हो जाएंगे। इसी डर के कारण रावण ने ना तो सीता को कभी बलपूर्वक छूने का प्रयास किया और न ही अपने महल में रखा।

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झूठ 2- बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया।
सच- रावण ने अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए सीता का अपहरण नहीं किया बल्कि इसलिए किया क्योंकि वह कामांध था। उसने अनेक स्त्रियों के साथ दुराचार किया था। जब शूर्पणखा ने रावण के सामने सीता की सुदंरता का वर्णन किया, तो उसके मन में सीता को प्राप्त करने की लालसा जाग उठी। इसलिए रावण ने सीता का हरण किया।

झूठ 3- रावण अजेय योद्धा था।
सच- सभी ये मानते हैं कि रावण अजेय योद्धा था। वह अपने जीवन में कभी किसी से नहीं हारा। जबकि ये बात पूरी तरह से गलत है। रावण राम के अलावा और भी चार लोगों के हार चुका था। ये चार लोग थे 1. पाताल लोक के राजा बलि, 2. महिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन, 3. वानरराज बालि और 4. भगवान शिव। रावण जिनसे भी हारता, उनसे संधि कर लेता था।

झूठ 4- रावण ने शिव से मांगी थी सोने की लंका।
सच- लंका का निर्माण देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा ने किया था। उसमें सबसे पहले राक्षस ही निवास करते थे। भगवान विष्णु के भय से जब राक्षस पाताल चले तो लंका सूनी हो गई। रावण के बड़े भाई (सौतेले) ने अपनी तपस्या से भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा ने उसे लोकपाल बना दिया और सोने की लंका में निवास करने के लिए कहा। जब रावण विश्व विजय पर निकला तो उसने कुबेर से सोने की लंका व पुष्पक विमान भी छीन लिया। रावण ने वहां राक्षसों का राज्य स्थापित किया।

झूठ 5- रावण ने राम के लिए रामेश्वर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की।
सच- रामेश्वरम को लेकर भी ये भ्रांति है कि राम के बुलावे पर रावण आया और उसने समुद्र तट पर रामेश्वर मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करवाई, लेकिन वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि समुद्र पर सेतु बनाने से पहले श्रीराम ने ही उस शिवलिंग की स्थापना की थी। इस भ्रांति से जुड़ा एक तथ्य ये भी है कि रावण के वध के बाद अयोध्या लौटते समय ऋषियों के कहने पर राम ने वहां शिवलिंग की स्थापना करके ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी।
 

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