ईद-उल-फितर: इस्लाम का अर्थ है शांति में प्रवेश करना, जानिए धरती पर कैसे आई कुरान

Published : May 24, 2020, 09:38 AM IST
ईद-उल-फितर: इस्लाम का अर्थ है शांति में प्रवेश करना, जानिए धरती पर कैसे आई कुरान

सार

इस्लाम धर्म में पवित्र रमजान के पूरे महीने रोजे रखने के बाद नया चांद दिखने के अवसर पर ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 25 मई, सोमवार को है।

उज्जैन. 'फितर' शब्द अरबी के 'फतर' शब्द से बना। जिसका अर्थ होता है टूटना। ईद के इस खास मौके पर हम आपको इस्लाम से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है-

क्या है इस्लाम?
इस्लाम अरबी का शब्द है। इसका मतलब है शांति को अपनाना या उसमें प्रवेश करना। इस लिहाज से मुसलमान होने का मतलब उस व्यक्ति से है जो इंसान से लेकर परमात्मा तक, सभी के साथ पूरी तरह शांति व सुकूनभरा रिश्ता रखता हो। इस तरह इस्लाम धर्म का मूल स्वरूप यही है कि एक ऐसा धर्म, जिसके जरिए एक इंसान दूसरे इंसान के साथ प्रेम और अहिंसा से भरा व्यवहार कर ईश्वर की पनाह लेता है।

इस्लाम धर्म के प्रवर्तक कौन थे?
इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मुहम्मद साहब थे। उनका जन्म सन् 570 ई. में हुआ माना जाता है। भारतीय इतिहास की नजर से जब भारत में हर्षवर्धन और पुलकेशियन का शासन था, तब हजरत मुहम्मद अरब देशों में इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहे थे।

कैसी धरती पर उतरी पवित्र कु्रान?
कुरान में वे आयतें यानी पद शुमार हैं, जो मुहम्मद साहब के मुंह से उस वक्त निकले जब वे पूरी तरह ईश्वरीय प्रेरणा में डूबे हुए थे। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक ईश्वर, ये आयतें देवदूतों के जरिए मुहम्मद साहब तक पहुंचाते थे। इन पवित्र आयतों का संकलन ही कुरान है। कुरान की आयतें पैगम्बर को 23 सालों तक वक्त-वक्त पर हासिल हुईं, जिनको उन्होंने कभी लकड़ियों तो कभी तालपत्रों पर संकलित किया। इन 23 सालों के दौरान पैगम्बर 13 साल पवित्र मक्का और 10 साल मदीने में रहे। उनके बाद पहले खलीफा अबूबक्र ने मुहम्मद साहब की संकलित इन सारी आयतों का संपादन किया व पवित्र कुरान तैयार की, जो प्रामाणिक मानी जाती है।
 

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