गुड़ी पड़वा 13 अप्रैल को, इस पर्व से जुड़ी हैं अनेक परंपराएं और मान्यताएं, जानिए इनके बारे में

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 13 अप्रैल, मंगलवार को है। इसी दिन से हिंदू नववर्ष की शुरूआत मानी जाती है।

उज्जैन. सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए गुड़ी पड़वा का पर्व बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इस पर्व से जुड़ी अनेक परंपराएं और रोचक बातें हैं। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

1. महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा का पर्व बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है क्योंकि मराठियों के लिए गुड़ी पड़वा से नए साल की शुरुआत होती है। इस दिन महाराष्ट्र समेत भारत के कई प्रांतों में नई फसल की पूजा भी की जाती है।
2. इस विशेष पर्व पर लोग नए वर्ष की तरह अपने घरों में साफ-सफाई करते हैं तथा सुंदर रंगोली बनाते हैं। पूजा में उपयोग किए जाने वाले आम के पत्तों से बंदनवार बनाकर लोग अपने घरों के आगे इन्हें सजाते हैं। परंपराओं के अनुसार, गुड़ी पड़वा पर महिलाएं अपने घर के बाहर गुड़ी लगाती हैं।
3. भारत में किसी पर्व पर विशेष पकवान ना बने ऐसा तो ही नहीं सकता। गुड़ी पड़वा के पर्व पर भी लोग पूरन पोली बनाते हैं जो महाराष्ट्र का जाना माना पकवान है।
4. परंपराओं के अनुसार, इस दिन घर में गुड़ी लाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह घर की सुख-समृद्धि को बढ़ाता है।
5. मान्यता के अनुसार, युद्ध जीतने के बाद मराठों के प्रख्यात राजा छत्रपति शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया था। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी के गुड़ी पड़वा पर्व मनाने के बाद हर एक मराठा इस पर्व को हर साल मनाता है।
6. गुड़ी पड़वा पर लोग सबसे पहले नीम की पत्तियों को खाते हैं। नीम की पत्तियों का सेवन करने से खून साफ होता है तथा इंसान रोग मुक्त रहता है।
 

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