सुरूप द्वादशी 31 दिसंबर को, इस दिन भगवान विष्णु के 12 नाम बोलकर करें नारायण रूप की पूजा

पौष महीने के कृष्ण और शुक्लपक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने की परंपरा ग्रंथों में बताई गई है। इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा करने का विधान बताया गया है। इसलिए इसे सुरूप द्वादशी (Surup Dwadashi 2021) भी कहते हैं।

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, पौष कृष्ण द्वादशी को सुरूप द्वादशी (Surup Dwadashi 2021) कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा की जाती है। ऐसा करने से महायज्ञ करने जितना पुण्य मिलता है। इस द्वादशी के बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था, जिसका वर्णन महाभारत के आश्वमेधिक पर्व में किया गया है। इस बार स्वरूप दवादाशी साल के अंतिम दिन यानी 31 दिसंबर, शुक्रवार को है।

द्वादशी तिथि का महत्व
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि ग्रंथों में हर द्वादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व बताया गया है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के 12 नामों से पूजा करनी चाहिए। साथ ही ब्राह्मण भोजन या जरूरतमंद लोगों को अन्नदान करना चाहिए। ऐसा करने से हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं और कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। पुराणों के मुताबिक इस तिथि के शुभ प्रभाव से सुख-समृद्धि बढ़ती है और मोक्ष मिलता है।

पौष महीने की द्वादशी का महत्व
महाभारत के आश्वमेधिक पर्व में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि जो इंसान किसी भी तरह का व्रत या उपवास न कर सके, वो केवल द्वादशी को ही उपवास करें। इससे मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है। द्वादशी तिथि पर चन्दन, फूल, फल, जल या पत्र भगवान विष्णु को चढ़ाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही मनोकामना पूरी होती है। ऐसे इंसान पर भगवान की विशेष कृपा होती है।  

पौष और खरमास में विष्णु पूजा का संयोग
डॉ. मिश्र के का कहना है कि पौष और खरमास में भी भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा करने का विधान है। इसका वर्णन विष्णुधर्मोत्तर पुराण में भी किया गया है। इन दोनों महिनों के संयोग में आने वाली एकादशी और द्वादशी तिथि पर तीर्थ के जल में तिल मिलाकर नहाना चाहिए। फिर सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा और दिनभर व्रत या उपवास रखकर जरूरतमंद लोगों को दान देने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

दूध से अभिषेक करें और तुलसी पत्र चढ़ाएं
स्कन्दपुराण और महाभारत के अश्वमेधिक पर्व में बताया गया है कि हर महीने की द्वादशी तिथि पर शंख में दूध और गंगाजल मिलाकर भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की मूर्ति का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद पूजन सामग्री और फिर तुलसी पत्र चढ़ाएं। पूजा में भगवान विष्णु को ऋतुफल (मौसमी फल) अर्पित करना चाहिए। इसके बाद नैवेद्य लगाकर प्रसाद बांटे। फिर ब्राह्मण भोजन या जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाए। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप और दोष खत्म होते हैं।
 

Latest Videos

ये खबरें भी पढ़ें...

Life Management: युवक ने पूछा सफलता का सूत्र, संत उसे नदी में ले गए और पानी में डूबाने लगे…इसके बाद क्या हुआ?

Life Management: बाढ़ आई तो सभी गांव से चले गए, लेकिन एक आदमी ने कहा “मुझे भगवान बचाएंगे”…क्या सचमुच भगवान आए?

Life Management: संत ने एक आदमी को बड़ा पत्थर उठाकर चलने को कहा…जब उसके हाथ दुखने लगे तो संत ने क्या किया?

Life Management: एक सज्जन डिप्रेशन में थे, काउंसलर ने उन्हें पुराने दोस्तों से मिलने को कहा…इसके बाद क्या हुआ?

Life Management: सेठ ने प्रश्न पूछा तो संत ने कहा “मैं तुम्हें जवाब देने नहीं आया”…सुनकर सेठ को आ गया गुस्सा

Share this article
click me!

Latest Videos

नोटिस या पूछताछ... आखिर संसद धक्का कांड में Rahul Gandhi पर क्या एक्शन लेगी दिल्ली पुलिस?
जयपुर में CNG टैंकर में धमाका और लगी आग, 35 गाड़ियां स्वाहा । Jaipur Fire News । Rajasthan News
LIVE 🔴: Day 4 | उत्तर प्रदेश विधान सभा शीतकालीन सत्र 2024 |
Exclusive: चश्मदीद ने बताया जयपुर अग्निकांड का मंजर, कहा- और भी भयानक हो सकता था हादसा!
LIVE 🔴: गौरव गोगोई और प्रमोद तिवारी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग