हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय फाल्गुन मास (falgun month) चल रहा है। ये हिंदू वर्ष का अंतिम महीना होता है। इस महीने के खत्म होने के 15 दिन बाद नववर्ष का आरंभ होता है। इस महीने में कई विशेष उत्सव मनाए जाते हैं।
उज्जैन. फाल्गुन मास का धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी धर्म ग्रंथों में बताया गया है। आयुर्वेद में फाल्गुन को बीमारी दूर करने का समय बताया गया है। इस महीने में वसंत ऋतु की शुरुआत होने से दिल-दिमाग में सकारात्मक विचार के साथ उत्साह और उमंग भी बनी रहती है। साथ ही मौसम परिवर्तन का संधिकाल होने से इस महीने खान-पान में छोटे-छोटे बदलाव करने पर बीमारियों से बचा जा सकता है। इस समय खान-पान में कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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8 दिन के होलाष्टक में नहीं होंगे शुभ कार्य
पुरी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार, 17 मार्च को फाल्गुन मास समाप्त हो जाएगा। इसके 8 दिन पहले यानी 10 मार्च से होलाष्टक (holashtak 2022) शुरू हो जाएगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकेगा। पौराणिक कथा के अनुसार कामदेव द्वारा भगवान शिव (shivji) की तपस्या भंग करने के कारण शिवजी ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी पर कामदेव (kamdev) को भस्म कर दिया था। दूसरी कथा के मुताबिक राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए 8 दिनों में कई यातनाएं दी थीं, इसलिए होलाष्टक काल को विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन समारोह जैसे अधिक शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ माना गया है।
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बीमारियों से बचने के लिए फाल्गुन में शिव पूजा
मान्यता है कि रोगों से मुक्ति के लिए फाल्गुन महीना उत्तम है। इस महीने में भोले शंकर को सफेद चंदन अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन देवताओं को अबीर और गुलाल अर्पित करना चाहिए।
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दान का विशेष महत्व
फाल्गुन में दान का ज्यादा महत्व है। इस महीने में अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों को दान और पितरों के निमित्त तर्पण जरूर करना चाहिए। फाल्गुन मास में शुद्ध घी, तेल, सरसों का तेल, मौसमी फल आदि का दान अत्यंत ही फल प्रदान करने वाला माना गया है।
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