Holi 2022: आंध्रप्रदेश में है भगवान नृसिंह का हजारों साल पुराना मंदिर, मान्यता है कि इसे प्रह्लाद ने बनवाया था

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन (Holika Dahan 2022) किया जाता है और इसके अगले होली वसंतोत्सव मनाया जाता है। इस बार 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 18 मार्च को होली (Holi 2022) खेली जाएगी।

Asianet News Hindi | Published : Mar 17, 2022 10:37 AM IST

उज्जैन. होली पर्व भगवान विष्णु के चौथे अवतार नृसिंह (Lord Narasimha) और भक्त प्रह्लाद (Bhakta Prahlad) से जुड़ा है। अपने भक्त प्रह्लाद को उसके पिता हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने ये अवतार लिया था। आंध्रपदेश (Andhra Pradesh) के विशाखापट्टनम (Visakhapatnam) से महज 16 किमी दूर सिंहाचल पर्वत (Sinhachal Mountains) पर भगवान नृसिंह का एक प्राचीन और विशाल मंदिर है। मान्यता है कि यह मंदिर सबसे पहले भगवान नृसिंह के परमभक्त प्रहलाद ने ही बनवाया था। यहां मौजूद मूर्ति हजारों साल पुरानी मानी जाती है। होली के मौके पर हम आपको इस मंदिर से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

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चंदन के लेप से ढंकी रहती है प्रतिमा
- भगवान नृसिंह के इस मंदिर को सिंहाचलम कहा जाता है। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां भगवान नृसिंह लक्ष्मी के साथ हैं, लेकिन उनकी मूर्ति पर पूरे समय चंदन का लेप होता है। 
- केवल अक्षय तृतीया को ही एक दिन के लिए ये लेप मूर्ति से हटाया जाता है, उसी दिन लोग असली मूर्ति के दर्शन कर पाते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर को हिरण्यकशिपु के भगवान नृसिंह के हाथों मारे जाने के बाद प्रहलाद ने बनवाया था। लेकिन वो मंदिर सदियों बाद धरती में समा गया।
- मान्यता है कि इस मंदिर को प्रहलाद के बाद पुरुरवा नाम के राजा ने फिर से स्थापित किया था। पुरुरवा ने धरती में समाए मंदिर से भगवान नृसिंह की मूर्ति निकालकर उसे फिर से यहां स्थापित किया और उसे चंदन के लेप से ढ़ंक दिया। 
- तभी से यहां इसी तरह पूजा की परंपरा है, साल में केवल वैशाख मास के तीसरे दिन अक्षय तृतीया पर ये लेप प्रतिमा से हटाया जाता है। इस दिन यहां सबसे बड़ा उत्सव मनाया जाता है। 13वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार यहां के राजाओं ने करवाया था।


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कैसे पहुंचें?
1.
हवाई मार्ग से सिंहाचलम मंदिर में पहुँचने के लिये विशाखापत्तनम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से टैक्सी या बस के माध्यम से पहुँच सकते हो। हवाई अड्डे से मंदिर की दूरी लगभग 14 किलोमीटर है।
2. रेल मार्ग से सिंहाचलम मंदिर में पहुँचने के लिये सिंहाचलम रेलवे स्टेशन से टैक्सी या बस के माध्यम से पहुँच सकते हो। रेल मार्ग से मंदिर की दूरी लगभग 11 किलोमीटर है।
3. सड़क मार्ग से सिंहाचलम मंदिर में पहुँचने के लिये आंध्र प्रदेश राज्य के किसी भी शहर से परिवहन निगम की बसों,निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर में पहुँच सकते हैं। 


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