Jammu Jhiri Mela: कौन थे बाबा जित्तो, उनकी याद में हर साल क्यों लगता है झिड़ी मेला?, चमत्कारी है पूरी कहानी

Jammu Jhiri Mela: हमारे देश में समय-समय पर कई धार्मिक मेलों का आयोजन किया जाता है। ऐसा ही एक मेला जम्मू के झिरी गांव में भी आयोजित होता है। इसे झिड़ी मेला कहते हैं। 10 दिनों तक चलने वाला ये मेला इस बार 7 नवंबर से शुरू हो चुका है।
 

Manish Meharele | Published : Nov 7, 2022 12:20 PM IST / Updated: Nov 07 2022, 05:55 PM IST

उज्जैन. जम्मू जिले के झिड़ी गांव में इस समय भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है, कारण है यहां लगने वाला झिड़ी मेला (Jammu Jhiri Mela)। ये मेला हर साल कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होकर 10 दिनों तक चलता है। कोरोना के चलते पिछले 2 सालों से मेले का आयोजन नहीं हो रहा था। इस बार मेले की शुरूआत 7 नवंबर से हो चुकी है। ये मेला बाबा जित्तो की याद में उनके मंदिर परिसर में ही आयोजित किया जाता है। आगे जानिए कौन थे बाबा जित्तो और क्यों लगाया जाता है ये मेला…   

कौन थे बाबा जित्तो? (Who was Baba Jitto?)
- मान्यता के अनुसार, किसी समय जम्मू में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ। इस बच्चे का नाम जेतमल रखा गया। बचपन से ही जेतमल धार्मिक स्वभाव का था। बड़े होकर जेतमल का विवाह माया देवी से हुआ था। जेतमल अपने माता-पिता की खूब सेवा करते थे।
- माता-पिता की मृत्यु के बाद वे परेशान रहने लगे, तब किसी के कहने पर उन्होंने माता वैष्णों की भक्ति करनी शुरू कर दी। माता की कृपा से ही उनके यहां एक बालिका का जन्म हुआ, जिसका नाम उन्होंने गौरी रखा। ये बालिका भी मां वैष्णों की परम भक्त थीं।
- बड़ी होने पर गौरी को एक असाध्य रोग हो गया। तब किसी ने जेतमल को गांव छोड़कर कहीं और जाने की सलाह दी। जेतमल ने ऐसा ही किया और जम्मू तहसील के पिंजौड़ क्षेत्र में आकर रहने लगा। जिसे अब झिड़ी कहा जाता है। 
- यहां जेतमल ने एक बड़े जमींदर की जमीन पर खेती करना शुरू की, लेकिन शर्त ये थी कि इसके बदले में जमींदार को एक चौथाई हिस्सा देना होगा। कड़ी मेहनत करने के बाद जब फसल तैयार हुई तो जमींदर की नीयत खराब हो गई।
- जमींदार ने चौथाई की जगह फसल का आधा हिस्सा मांगा, जिसे देने से जेतमल ने इंकार कर दिया। जेतमल ने मां भगवती का स्मरण किया और उसकी अंर्तआत्मा से आवाज आई कि इस अन्याय को रोकने लिए स्वयं को बलिदान कर दो।
- जेतमल में तलवार से खुद की जान ले ली। पूरा अनाज जेतमल के खून से लाल हो गया। जेतमल का अंतिम संस्कार करते समय उसकी बेटी भी आग में कूद गई और जलकर भस्म हो गई। इस घटना के बाद जमींदार का पूरा परिवार बीमार रहने लगा और धीरे-धीरे उसका पूरा वंश खत्म हो गया।

किसने बनवाया बाबा जित्तो का मंदिर? (Who built the temple of Baba Jitto?)
बाद में ये बात पूरे कस्बे में फैल गई और लोग जेतमल को बाबा जित्तों के रूप में पूजने लगे। इस इलाके के राजा अजबदेव ने इसी स्थान पर जेतमल के नाम पर एक मंदिर और समाधि बनवाई। इसे ही जित्तो बाबा का मंदिर कहा जाता है। पूरे साल यहां भक्तों का आना लगा रहता है। कहते हैं कि यहां सभी की मुराद पूरी होती है। इसे झिड़ी मेला कहा जाता है। इस मेले का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा से होता है, जो 10 दिन तक चलता है। इस दौरान यहां लाखों भक्त मनौती मांगने आते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।


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