सार

Aghan Month 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, एक साल में 12 महीने होते हैं। इनमें से 9वें महीने का नाम अगहन है। इसे मार्गशीर्ष भी कहते हैं। धार्मिक दृष्टि से इस महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में कई प्रमुख त्योहार आदि मनाए जाते हैं।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म में अगहन मास (Aghan Month 2022) का विशेष महत्व है। ये हिंदू पंचांग का नौवां महीना है। इसे मार्गशीर्ष भी कहते हैं। इस बार अगहन मास की शुरूआत 9 नवंबर, बुधवार से हो रही है, जो 8 दिसंबर, गुरुवार तक रहेगा। इस महीने में शंख पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। मार्गशीर्ष मास में विवाह करना बहुत शुभ माना गया है क्योंकि इसी महीने में भगवान श्रीराम का विवाह देवी सीता से हुआ था। आगे जानिए अगहन मास को क्यों इतना खास माना जाता है…

अगहन को मार्गशीर्ष क्यों कहते हैं?
हिंदू पंचांग में 12 महीने बताए गए हैं। इनमें से सिर्फ नौवें महीने यानी अगहन का ही एक अतिरिक्त नाम भी है। अगहन मास का एक नाम मार्गशीर्ष भी है क्योंकि इस महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है। मृगशिरा से ही मार्गशीर्ष नाम बना है। इस महीने को भगवान श्रीकष्ण का महीना भी कहा जाता है। 

इस महीने में मनाए जाएंगे ये व्रत त्योहार
अगहन मास में वैसे तो कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही खास है, जैसे कालभैरव अष्टमी, उत्पन्ना एकादशी, विवाह पंचमी, नंदा सप्तमी, मोक्षदा एकादशी और अनंग त्रयोदशी। इनके अलावा महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि पर दत्त जयंती का पर्व मनाया जाता है। 

भगवान श्रीराम का विवाह हुआ था इसी महीने में
धर्म ग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, त्रेतायुग में इसी तिथि पर भगवान श्रीराम और देवी सीता का विवाह हुआ था। इसके अलावा इस महीने में मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इन 2 कारणों से भी इस महीने का विशेष महत्व है।

श्रीकृष्ण ने स्वयं बताया है इस महीने का महत्व
गीता के एक श्लोक के अनुसार- 
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् ।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकरः ।।

इस श्लोक में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं को मार्गशीर्ष महीना बताया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस पवित्र मास में गंगा, युमना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से रोग, दोष और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।


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