Janmashtami: लाइफ मैनेजमेंट गुरु हैं भगवान श्रीकृष्ण, उनके जीवन से हम भी सीख सकते हैं सफल जीवन के सूत्र

भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हम सभी के लिए एक आदर्श है। श्रीकृष्ण में ऐसे अनेक गुण थे, जो उन्हें परफेक्ट बनाते थे। दोस्ती निभाना हो या दांपत्य जीवन में खुशहाली, जीवन के हर क्षेत्र में उन्होंने सामंजस्य बनाए रखा था। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 29, 2021 2:39 AM IST / Updated: Aug 29 2021, 11:29 AM IST

उज्जैन. भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन काल में हमें लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र दिए हैं। ये सूत्र हमें सफल जीवन का रास्ता दिखाते हैं। ये लाइफ मैनेजमेंट सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। जन्माष्टमी (Janmashtami 2021) (30 अगस्त, सोमवार) के मौके पर हम आपको उन्हीं में से कुछ आसान सूत्रों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

1. रिश्ते निभाना
भगवान श्रीकृष्ण ने अपना हर रिश्ता पूरी ईमानदारी से निभाया। यहां तक कि अपने परिजन व अन्य लोगों के लिए द्वारिका नगरी ही बसा दी। माता-पिता, बहन, भाई श्रीकृष्ण ने हर रिश्ते की मर्यादा रखी।

2. युद्धनीति
महाभारत के युद्ध में जब-जब पांडवों पर कोई मुसीबत आई, श्रीकृष्ण ने अपनी युद्ध नीति से उसका हल निकाला। भीष्म, द्रोणाचार्य आदि अनेक महारथियों के वध का रास्ता श्रीकृष्ण ने ही पांडवों को सुझाया था।

3. मित्रता निभाना
अर्जुन, सुदामा व श्रीदामा श्रीकृष्ण के प्रमुख मित्र थे। जब-जब इनमें से किसी पर भी कोई मुसीबत आई, श्रीकृष्ण ने उनकी हरसंभव मदद की। आज भी श्रीकृष्ण और अर्जुन की मित्रता की मिसाल दी जाती है।

4. सुखी दांपत्य
ग्रंथों के अनुसार, श्रीकृष्ण की 16108 रानियां थीं। इनमें से 8 प्रमुख थीं। श्रीकृष्ण के दांपत्य जीवन में आपको कहीं भी अशांति नहीं मिलेगी। वे अपनी हर पत्नी को संतुष्ट रखते थे ताकि उनमें कोई मन-मुटाव न हो। श्रीकृष्ण की तरह हमें भी अपने दांपत्य जीवन में खुश रहना सीखना चाहिए।

5. सही समय पर सही निर्णय
कंस का ससुर जरासंध बार-बार मथुरा पर हमला करता था, जिससे वहां की प्रजा परेशान रहती थी। श्रीकृष्ण जानते थे कि जरासंध का वध उनके हाथों नहीं लिखा। इसी कारण उन्होंने मथुरा से दूर द्वारिका नगरी बसाई और समय आने पर भीम के हाथों जरासंध का वध भी करवा दिया।

6. सही-गलत का ज्ञान
जब गोकुलवासी बारिश के लिए इंद्रदेव की पूजा करते थे श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि बारिश करना तो इंद्र का कर्तव्य है। इसके लिए उनकी पूजा करना न करें। उसके स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना चाहिए, जो हमारे गौधन को समृद्ध करता है।

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