
उज्जैन. द्वारिकाधीश गोपाल मंदिर का निर्माण दौलतराव सिंधिया की पत्नी बायजा बाई द्वारा करवाया गया था। यह भगवान श्रीकृष्ण के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की परंपराएं भी काफी खास हैं। इस मंदिर में जन्माष्टमी के अलावा हरि-हर मिलन का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान महाकाल की सवारी रात 12 बजे गोपाल मंदिर में आती है यहां दोनों देवताओं की आमने-सामने बैठाकर पूजा की जाती है। यह पर्व बैकंठ चतुर्दशी पर मनाया जाता है। जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) के मौके पर जानिए उज्जैन के गोपाल मंदिर से जुड़ी खास बातें…
यहां स्थापित दरवाजा है बहुत खास
गोपाल मंदिर का जो मुख्य दरवाजा है, उसका ऐतिहासिक महत्व है। इतिहासकारों के अनुसार, मोहम्मद गजनवी ने जब सोमनाथ मंदिर को लूटा तो वह अपने साथ मंदिर के दरवाजे भी ले गया, क्योंकि इन दरवाजों पर कई बहुमूल्य रत्न जड़े हुए थे। बाद में इन दरवाजों को अहमद शाह अब्दाली ने लूट लिया। इसके बाद ये दरवाजे मराठा शासक महादजी शिंदे के पास आ गए। महादजी शिंदे ने ये दरवाजे कैसे प्राप्त किए, इसके बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। बाद में इन दरवाजों को सिंधियां राजवंश ने उज्जैन स्थित गोपाल मंदिर में लगवा दिया।
ऐसा है मंदिर का स्वरूप
द्वारिकाधीश गोपाल मंदिर उज्जैन शहर के व्यस्ततम क्षेत्र छत्री चौक में स्थित है। मंदिर में मूर्ति की स्थापना इस प्रकार की गई है कि दूर से ही इसके दर्शन किए जा सकते हैं। मंदिर का शिखर सफ़ेद संगमरमर और शेष मंदिर सुन्दर काले पत्थरों से निर्मित है। मंदिर के चाँदी के द्वार यहाँ का एक अन्य आकर्षण हैं। मंदिर के विशाल स्तंभ और सुंदर नक्काशी देखते ही बनती है। मंदिर में भगवान शंकर, पार्वती और गरुड़ भगवान की मूर्तियाँ हैं। ये मूर्तियाँ अचल है और एक कोने में वायजा बाई की भी मूर्ति भी है।
कैसे पहुँचें?
हवाई मार्ग - उज्जैन का सबसे निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है। यहां से उज्जैन के लिए बस, टैक्सी, रेल आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
सड़क मार्ग- उज्जैन शहर सभी प्रमुख शहरों से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है। यहां से इंदौर की दूरी मात्र 60 किमी है।
रेल मार्ग- उज्जैन का रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से छोटी और बड़ी लाइन की रेलगाड़ियाँ मुंबई, दिल्ली, चेन्नई और कोलकाता के लिए जाती हैं।
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