Janmashtami 2022: कौन-कौन था श्रीकृष्ण के परिवार में? जानें उनकी 16 हजार पत्नी, पुत्री और पुत्रों के बारें में

Janmashtami 2022: धर्म  ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में जब अधर्म काफी बढ़ गया और धर्म की हानि होने लगी तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लेकर पापियों का नाश किया और धर्म की स्थापना की। इस काम में पांडवों ने भी उनका साथ दिया। 
 

उज्जैन. प्रति वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) का पर्व मनाया जाता है। पंचांग भेद के कारण इस बार ये पर्व 18 व 19 अगस्त यानी दो दिन मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी तिथि पर श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस दिन प्रमुख कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं और दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भगवान श्रीकृष्ण के बारे में तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन उनके परिवार में बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण के पूरे परिवार के बारे में बताया गया है। आगे जानिए कौन-कौन था श्रीकृष्ण के परिवार में…   

कितनी पत्नियां थीं भगवान श्रीकृष्ण की? (How many wives did Lord Krishna have?)
श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां थीं। उनके नाम रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, सत्या, कांलिदी, लक्ष्मणा, मित्रविंदा व भद्रा था। भगवान श्रीकृष्ण को प्रत्येक रानी से दस-दस पुत्र उत्पन्न हुए। वे सभी रूप, बल आदि गुणों में अपने पिता के समान थे। रुक्मिणी के गर्भ से जो पुत्र हुए, उनके नाम- प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारु, चारुगुप्त, भद्रचारु, चारुचंद्र, विचारु व चारु था। 

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क्या है 16 हजार पत्नियों का रहस्य? (What is the secret of Lord Krishna's 16 thousand wives?)
ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियां भी थीं। इस संबंध में श्रीमद्भागवत में लिखा है कि नरकासुर नाम का एक राक्षस था। उसने 16 हजार स्त्रियों को कैद कर लिया था। जब भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया तो वे 16 हजार स्त्रियां असहाय हो गईं। तब भगवान ने उन सभी को अपनी पत्नी मानकर विवाह किया और अपने महल में उन्हें आश्रय दिया।

एक पुत्री भी थी श्रीकृष्ण की (Who was the daughter of Lord Krishna)
भगवान श्रीकृष्ण के पुत्रों के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन ये बात बहुत कम लोगों को पता है कि भगवान श्रीकृष्ण की एक पुत्री भी थी जिसका नाम चारुमती था। इनकी माता रुक्मिणी थी। भगवान श्रीकृष्ण ने चारुमती का विवाह राजा कृतवर्मा के पुत्र बलि से करवाया था। महाभारत युद्ध में कृतवर्मा ने कौरवों का साथ दिया था। कौरवों सेना में बचे अंतिम तीन योद्धाओं में कृतवर्मा भी एक थे। 

दुर्योधन था श्रीकृष्ण का समधी (What was the relation between Duryodhana and Krishna)
श्रीमद्भागवत के अनुसार, दुर्योधन की पुत्री का नाम लक्ष्मणा था। विवाह योग्य होने पर दुर्योधन ने उसका स्वयंवर किया। उस स्वयंवर में भगवान श्रीकृष्ण का पुत्र साम्ब भी गया। लक्ष्मणा के सौंदर्य पर मोहित होकर उसने लक्ष्मणा का हरण कर लिया। तब कौरवों ने उसे बंदी बना लिया। बलराम के समझाने पर कौरवों ने उसे छोड़ दिया और इस तरह श्रीकृष्ण और दुर्योधन समधी बन गए।


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