जन्माष्टमी: जानें पूजा विधि-मुहुर्त, मंत्र, आरती और क्या भोग चढ़ाएं भगवान कृष्ण को

इस बार 11 व 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। वैष्णव मत के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, इसलिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) और द्वारिका (गुजरात) दोनों जगहों पर 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनेगा।

Asianet News Hindi | Published : Aug 11, 2020 6:07 AM IST / Updated: Aug 11 2020, 11:48 AM IST

उज्जैन. इस बार 11 व 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। वैष्णव मत के मुताबिक 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है, इसलिए मथुरा (उत्तर प्रदेश) और द्वारिका (गुजरात) दोनों जगहों पर 12 अगस्त को ही जन्मोत्सव मनेगा। जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त की रात को कृष्ण जन्म होगा। वहीं, काशी और उज्जैन जैसे शैव शहरों में भी 11 को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कैसे करें जानिए...

इस विधि से करें श्रीकृष्ण की पूजा
- जन्माष्टमी की सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें (जैसा व्रत आप कर सकते हैं वैसा संकल्प लें यदि आप फलाहार कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें और यदि एक समय भोजन कर व्रत करना चाहते हैं तो वैसा संकल्प लें)।
- इसके बाद माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की सोने, चांदी, तांबा, पीतल अथवा मिट्टी की (यथाशक्ति) मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। भगवान श्रीकृष्ण को नए वस्त्र अर्पित करें। पालने को सजाएं।
- इसके बाद श्रीकृष्ण की पूजा करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी आदि के नाम भी बोलें। अंत में माता देवकी को अर्घ्य दें। भगवान श्रीकृष्ण को फूल अर्पित करें।
- रात में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पालने को झूला करें। पंचामृत में तुलसी डालकर व माखन मिश्री का भोग लगाएं। आरती करें और रात्रि में शेष समय स्तोत्र, भगवद्गीता का पाठ करें।
- दूसरे दिन पुन: स्नान कर जिस तिथि एवं नक्षत्र में व्रत किया हो, उसकी समाप्ति पर व्रत पूर्ण करें।

जन्माष्टमी पूजा के शुभ मुहूर्त (11 अगस्त, मंगलवार)
सुबह 10.42 से दोपहर 12.18 तक- लाभ
दोपहर 12.18 से 01.54 तक- अमृत
दोपहर 3.30 से शाम 05.07 तक- शुभ
रात 08.07 से 09.30 तक- लाभ
रात्रि पूजन मुहूर्त- रात 12 से 12.45 तक

जन्माष्टमी पूजा के शुभ मुहूर्त (12 अगस्त, बुधवार)
सुबह 10.46 से दोपहर 02.05 तक
दोपहर 3.44 से शाम 5.24 तक
रात 8.24 से 9.44 तक
रात 12.05 से 12.47 तक

भगवान श्रीकृष्ण की आरती
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

मान्यता है कि इस दिन अगर कुछ खास उपाय किए जाएं तो भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट के अनुसार, मंत्र जाप द्वारा भी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाई जाती है। भगवान श्रीकृष्ण के प्रमुख मंत्र और उसके जाप की विधि इस प्रकार है-

1. ऊं नमो नारायणाय नम:

2. ऊं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते

3. ऊं श्रीकृष्णाय नम:

4. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:

5. क्लीं ह्रषीकेशाय नम:

6. ऊं ह्रषिकेशाय नम:

7. श्रीकृष्ण शरणं मम

8. ऊं गोकुल नाथाय नमः 

मंत्र जाप विधि
1. जन्माष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। पीले वस्त्र अपर्ण करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
2. इसके बाद तुलसी की माला से इनमें से किसी एक मंत्र का जाप करें।
3. कम से कम 108 बार मंत्र जाप अवश्य करें। संभव हो तो जन्माष्टमी की रात को भी मंत्र जाप करें।
4. इस प्रकार विधि-विधान पूर्वक मंत्र जाप करने से आपकी समस्या दूर हो सकती है।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में भोग का विशेष महत्व है। जन्माष्टमी पर बालगोपाल को एक नहीं कई चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का भोग लगाते समय एक बात का खास ध्यान रखें कि उनमें तुलसी का पत्ता अवश्य होना चाहिए। इसके बिना भोग अधूरा माना जाता है। इन चीजों का भोग लगाएं श्रीकृष्ण को…

1. माखन मिश्री
2. पंचामृत
3. खीर
4. पंजीरी (धनिए का पाउडर और शक्कर का मिश्रण)
5. पीले फल

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