1 हजार साल पुराना है कर्नाटक का श्रीचेन्नाकेशव मंदिर, हजारों कारीगरों ने 103 साल में बनाया इसे

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी खास कला के लिए पहचाने जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर कर्नाटक (Karnataka) के हासन जनपद (Hassan District) के बैलूर नगर (Bailur Nagar) में भी है। इसे श्रीचेन्नाकेशव मंदिर (Srichennakeshava Temple) कहा जाता है।

उज्जैन. श्रीचेन्नाकेशव भगवान विष्णु के अवतार माने गए हैं। इस मंदिर का निर्माण होयसल राजवंश के राजा विष्णुवर्धन (King Vishnuvardhana) ने 1104 -17 ई. के बीच बनवाया था। यानी ये मंदिर लगभग 1 हजार साल पुराना है। यह मंदिर स्थापत्य एवं मूर्तिकला के नजरिये से बहुत ही खास है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत इसकी कलाकृतियां है। ऐसा लगता है कि जैसे कलाकार ने इन मूर्तियों में जान डाल दी हो। ये मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में भी शामिल है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर की कला को निहारने आते हैं और देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

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1. इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर राजा विष्णुवर्धन ने चोलवंश पर जीत की खुशी में बनवाया था। एक मान्यता ये भी है कि इस मंदिर का निर्माण राजा विष्णुवर्धन द्वारा जैन धर्म त्याग कर वैष्णव धर्म अपनाने के उपलक्ष्य में की गई थी। 1117 ई. में यह मंदिर बनकर तैयार हुआ। हजारों कारीगरों ने इस मंदिर को बनने में 103 साल का समय लिया।
2. इस मंदिर में कुल 48 बड़े स्तंभ यानी खंबे हैं। इन खंबों पर अलग-अलग तरह की कलाकृतियों को उकेरा गया है, जो कि बहुत ही अद्भुत है। यह मंदिर 178 फीट लंबा और 156 फीट चौड़ा है। मंदिर के पूर्वी द्वार की ओर चालीस झरोखे बने हैं। इनमें से कुछ के पर्दे जालीदार हैं और कुछ में ज्यामितीय आकृतियां बनी हैं।
3. चेन्नाकेशव मंदिर 3 सितारों के आकार के एक मंच पर रखा गया था। इस मंदिर में प्रवेश करने पर भक्तों को स्तंभों का सभागृह दिखता है, जो उन्हें तीन सितारों के आकार के पवित्र स्थान में ले जाता है। 
4. इस मंदिर में अनेक आकर्षक मूर्तियां है जो जीवंत प्रतीत होती हैं। केशव मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं, संगीतकारों को उकेरा गया है। 64 कोशिकाओं वाला मंदिर चारों ओर से घिरा हुआ है। इस मंदिर के शुरू में, वेनुगोपाल, जनार्दन, और केशव की नक्काशीदार मूर्तियां रखी गई थीं।
5. दिल्ली सल्तनत यानी मुगल राजाओं के आक्रमणकारियों ने इस मंदिर के मुख्य द्वार को नष्ट कर दिया था। जह विजयनगर साम्राज्य के काल में इसका पुनर्निर्माण करवाया गया। 

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कैसे पहुंचे?
हासन कर्नाटक के अन्य महत्वपूर्ण नगरों एवं शहरों से सड़क एवं रेल मार्ग द्वारा सुगमता से जुड़ा हुआ है। कर्नाटक राज्य परिवहन की बसें नियमित रूप से बेलूर एवं अन्य महत्वपूर्ण नगरों के मध्य दौड़ती हैं।

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