कार्तिक मास में किया जाता है तारा स्नान और तारा भोजन, जानिए क्या है ये परंपरा?

शास्त्रों में कार्तिक स्नान (Kartik Maas 2021) का बड़ा महत्व बताया गया है। इस बार कार्तिक स्नान आश्विन माह की पूर्णिमा 20 अक्टूबर 2021 से 19 नवंबर 2021 तक किया जाएगा। कार्तिक माह में व्रत, तप, दान-पुण्य, पवित्र नदियों में स्नान और मंत्र जप आदि का विशेष महत्व होता है।

उज्जैन. कार्तिक माह के बारे में शास्त्रों में कहा गया है किजो मनुष्य कार्तिक माह में व्रत, तप, मंत्र जप, दान-पुण्य और दीपदान करता है वह जीवित रहते हुए पृथ्वी पर समस्त सुखों का भोग करता है और मृत्यु के पश्चात भगवान विष्णु के परम धाम बैकुंठ में निवास करता है। 

कार्तिक स्नान (Kartik Maas 2021) और कार्तिक व्रत का महत्व
- जो मनुष्य कार्तिक स्नान करना चाहता है और कार्तिक माह के व्रत रखना चाहता है उसे विशेष नियमों का पालन करना होता है।
- इस माह में सूर्योदय से पूर्व तारों की छाया में स्नान करने और सायंकाल में तारों की छाया में भोजन किया जाता है। इसे तारा स्नान और तारा भोजन कहा जाता है।
- पुराणों में इस तरह के स्नान को पापों से मुक्त करने वाला और कई पवित्र स्नानों के बराबर फल देने वाला बताया गया है।
- कार्तिक (Kartik month 2021) पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने की भी मान्यता है। इससे समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
- कार्तिक (Kartik month 2021) माह में प्रतिदिन सूर्योदय पूर्व और संध्याकाल में किया गया स्नान एक हजार बार गंगा स्नान के बराबर फल देने वाला माना गया है।

कार्तिक व्रत पूर्ण होने पर क्या करें
जो लोग कार्तिक का व्रत रखते हैं उन्हें इसके पूर्ण होने पर उजमना करना होता है। व्रत के अंतिम दिन अर्थात् कार्तिक पूर्णिमा (Kartik month 2021) पर उजमना करते हैं। उजमना में पांच सीधे, पांच सुराही किसी ब्राह्मण को दान दिए जाते हैं। एक साड़ी पर समस्त सुहाग सामग्री, रुपये रखकर सास या सास के समान किसी महिला के चरण स्पर्श करके भेंट देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

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