करवा चौथ पर क्यों खाते हैं सरगी, क्यों करते हैं चंद्रमा की पूजा? ये हैं इस पर्व से जुड़ी 4 परंपराएं

महिलाओं का सबसे प्रिय त्योहार करवा चौथ (karva chauth 2021) इस बार 24 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन भूखी-प्यासी रहकर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करती हैं।

उज्जैन. महिलाएं ये व्रत अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इस त्योहार से जुड़ी कई रोचक परंपराएं है। इन परंपराओं के पीछे धार्मिक और मनोवैज्ञानिक पक्ष छिपे हैं। आगे जानिए इन परंपराओं से जुड़ी खास बातें...

क्यों खाते हैं सरगी?
करवा चौथ (karva chauth 2021) में सास के द्वारा अपनी बहू को सरगी दी जाती है जिसमें खाने की चीजें जैसे फल, सूखे मेवे, मिष्ठान आदि चीजें होती हैं। इसके अलावा सरगी की थाली में श्रंगार का सामान जैसे, चूड़ी, सिंदूर, महावर, बिंदी, कुमकुम, साड़ी आदि चीजें शामिल होती है। करवा चौथ की सुबह सूर्योदय के पहले सरगी में दी गई चीजें खाई जाती है, ताकि पूरे दिन व्रत में ऊर्जा बनी रहे। सरगी खाने के लिए प्रातः जल्दी तीन बजे से लेकर चार बजे तक का समय सही रहता है। 

क्यों करते हैं चंद्रमा की पूजा?
रामायण के अनुसार एक बार श्रीराम ने पूर्व दिशा की ओर चमकते हुए चंद्रमा को देखा तो पूछा कि चंद्रमा में जो कालापन है, वह क्या है? सभी ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार जवाब दिया। तब श्रीराम ने कहा- चंद्रमा का कालापन विष के कारण है। अपनी विषयुक्त किरणों से वह वियोगी नर-नारियों को जलाता रहता है। इस पूरे प्रसंग का मनोवैज्ञानिक पक्ष यह है कि जो पति-पत्नी किसी कारणवश एक-दूसरे से बिछड़ जाते हैं चंद्रमा की विषयुक्त किरणें उन्हें अधिक कष्ट पहुंचाती हैं। इसलिए करवा चौथ (karva chauth 2021) पर चंद्रमा की पूजा कर महिलाएं ये कामना करती हैं कि चंद्रमा के कारण उन्हें अपने प्रियतम का वियोग न सहना पड़े।

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इसलिए पत्नी छलनी से देखती हैं पति को
करवा चौथ (karva chauth 2021) पर पूजन करते समय महिलाएं छलनी से चंद्रमा को देखती हैं, उसके बाद अपने पति को। इसके पीछे मनोवैज्ञानिक अभिप्राय यह होता है कि मैंने अपने ह्रदय के सभी विचारों व भावनाओं को छलनी में छानकर शुद्ध कर लिया है, जिससे मेरे मन के सभी दोष दूर हो चुके हैं और अब मेरे ह्रदय में पूर्ण रूप से आपके प्रति सच्चा प्रेम ही शेष है। यही प्रेम में आपको समर्पित करती हूं और अपना व्रत पूर्ण करती हूं।

इसलिए करवे से पीती हैं पानी?
मिट्टी का करवा पंच तत्व का प्रतीक है, मिट्टी को पानी में गला कर बनाते हैं जो भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है, उसे बनाकर धूप और हवा से सुखाया जाता है जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक हैं फिर आग में तपाकर बनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में पानी को ही परब्रह्म माना गया है, क्योंकि जल ही सब जीवों की उत्पत्ति का केंद्र है। इस तरह मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्व और परमात्मा दोनों को साक्षी बनाकर अपने दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने की कामना करते हैं।

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