बहुत कम लोग जानते हैं भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी ये 10 रोचक बातें

अयोध्या में आज (5 अगस्त, बुधवार) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 5, 2020 2:23 AM IST / Updated: Aug 05 2020, 11:55 AM IST

उज्जैन. भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या को दुल्हन सा सजाया गया है। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं, भगवान श्रीराम से जुड़ी 10 ऐसी बातें तो बहुत कम लोग जानते हैं…

1. श्रीराम की एक बहन भी थीं
कुछ ग्रंथों में भगवान श्रीराम की एक बहन होने का वर्णन भी मिलता है। उनका नाम शांता था। राजा दशरथ ने उन्हें अंगदेश के राजा रोमपाद को गोद दे दिया था। शांता का विवाह ऋषि ऋष्यश्रृंग से हुआ था। राजा दशरथ द्वारा किया गया पुत्रकामेष्ठि यज्ञ मुख्य रूप से ऋषि ऋष्यश्रृंग ने ही करवाया था, जिससे श्रीराम आदि का जन्म हुआ।

2. सीता स्वयंवर में नहीं गए श्रीराम
श्रीरामचरित मानस में लिखा है कि श्रीराम सीता स्वयंवर में गए थे, जबकि वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का वर्णन नहीं है। उसके अनुसार, राम व लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला गए थे। विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने के लिए कहा। तब श्रीराम ने उस धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया। राजा जनक ने यह प्रण किया था कि जो भी इस शिव धनुष को उठा लेगा, उसी से वे अपनी पुत्री सीता का विवाह कर देंगे। इसी के चलते श्रीराम के विवाह सीता के साथ हुआ।

3. विवाह के समय कितनी थी श्रीराम का आयु
वाल्मीकि रामायण के एक श्लोक से पता चलता है कि विवाह के समय भगवान श्रीराम की उम्र 13 साल और देवी सीता की उम्र 6 वर्ष थी। विवाह के 12 वर्ष बाद वनवास पर जाते समय श्रीराम की आयु 25 और सीता का आयु 18 वर्ष थीं।

4. नहीं हुआ लक्ष्मण व परशुराम में विवाद
श्रीरामचरित मानस के अनुसार, सीता स्वयंवर के समय भगवान परशुराम वहां आए थे और लक्ष्मण से उनका विवाद भी हुआ था। जबकि वाल्मीकि रामायण के अनुसार, सीता से विवाह के बाद जब श्रीराम अयोध्या लौट रहे थे, तब रास्ते में उन्हें परशुराम मिले। उन्होंने श्रीराम से अपने धनुष पर बाण चढ़ाने के लिए कहा। श्रीराम ने जब उनके धनुष पर बाण चढ़ा दिया तो बिना किसी से विवाद किए वे वहां से चले गए।

5. इसलिए श्रीराम के हाथों मरा रावण
रघुवंश में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा।

6. कबंध को श्रापमुक्त किया था श्रीराम ने
जब श्रीराम और लक्ष्मण वन में सीता की खोज कर रहे थे। उस समय कबंध नामक राक्षस का राम-लक्ष्मण ने वध किया था। वास्तव में कबंध एक श्राप के कारण राक्षस बन गया था। जब श्रीराम ने उसका दाह संस्कार किया तो वह श्राप मुक्त हो गया। कबंध ने ही श्रीराम को सुग्रीव से मित्रता करने के लिए कहा था।

7. लक्ष्मण नहीं श्रीराम हुए थे क्रोधित
श्रीरामचरितमानस के अनुसार, समुद्र ने जब वानर सेना को लंका जाने के लिए रास्ता नहीं दिया तो लक्ष्मण बहुत क्रोधित हुए थे, जबकि वाल्मीकि रामायण मंए लिखा है कि लक्ष्मण नहीं श्रीराम समुद्र पर क्रोधित हुए थे और उन्होंने समुद्र को सूखा देने वाले बाण भी छोड़ दिए थे। तब लक्ष्मण व अन्य लोगों ने भगवान श्रीराम को समझाया था।

8. इंद्र ने भेजा था श्रीराम के लिए रथ
जिस समय राम-रावण का अंतिम युद्ध चल रहा था, उस समय इंद्र ने अपना रथ श्रीराम के लिए भेजा था। उस रथ पर बैठकर ही श्रीराम ने रावण को मारा था। जब काफी समय तक राम-रावण का युद्ध चलता रहा तब अगस्त्य मुनि ने श्रीराम से आदित्यह्रदय स्त्रोत का पाठ करने को कहा, इसके बाद ही श्रीराम ने रावण का वध किया।

9. 31 बाणों से मरा था रावण
श्रीरामचरित मानस के अनुसार श्रीराम ने 31 बाण एक साथ रावण को मारे थे। इन 31 बाणों में से 1 बाण रावण की नाभि पर लगा, बाकी 30 बाणों से उसके 10 सिर और 20 हाथ धड़ से अलग हो गए। जैसे ही रावण का विशाल धड़ पृथ्वी पर गिरा तो पृथ्वी हिलने लगी थी।

10. राम नाम की महिमा
श्रीराम भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान के 1 हजार नाम बताए गए हैं। इनमें से 394 स्थान पर भगवान विष्णु का एक नाम राम भी बताया गया है।
 

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