भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है रक्षाबंधन पर्व, क्या है इस त्योहार का मनोवैज्ञानिक पक्ष?

हमारे देश में अनेक त्योहार समय-समय पर मनाए जाते हैं। इस सभी के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक या मनोवैज्ञानिक पक्ष जरूर छिपे होते हैं।

उज्जैन. इस बार रक्षाबंधन का पर्व 3 अगस्त, सोमवार को है। इस उत्सव से भी कई मनोवैज्ञानिक पक्ष छिपे हैं, जो इस प्रकार हैं-
- श्रावण मास की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का पर्व बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं।
- वहीं भाई भी जीवन भर अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का अनुपम उदाहरण है। इस बार यह त्योहार 3 अगस्त, सोमवार को है।
- बहनों को इस पर्व का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है। वहीं भाई भी बहनों के घर आने की बाट जोहते हैं।
- जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है तो वे यह कामना करती हैं कि उसके भाई के जीवन में कभी कोई कष्ट न हो, वह उन्नति करें और उसका जीवन सुखमय हो।
- वहीं भाई भी इस रक्षा सूत्र को बंधवाकर गौरवांवित अनुभव करते हैं और जीवन भर अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाता है। यही स्नेह व प्यार इस त्योहार की गरिमा को और बढ़ा देता है।
- रक्षाबंधन सिर्फ एक त्योहार ही नहीं है बल्कि इसका एक मनोवैज्ञानिक पक्ष भी है, जो भाइयों को उनकी बहनों के प्रति जिम्मेदारी को अभिव्यक्त करता है।
- यह जिम्मेदारी सिर्फ बहनों की रक्षा करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जीवन भर उसके सुख-दु:ख में साथ देने की है।

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