श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) की पंचमी तिथि को कुंवारा पंचमी कहते हैं। इस दिन पंचमी तिथि पर मृत हुए परिजनों का श्राद्ध तो किया ही जाता है, साथ ही ऐसे परिजन जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो, उनका भी श्राद्ध किया जाता है। इसलिए इस तिथि को कुंवारा पंचमी कहते हैं।
उज्जैन. श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) की हर तिथि का अपना एक खास महत्व है। इस बार श्राद्ध पक्ष 20 सितंबर से शुरू हो चुके हैं जो 6 अक्टूबर तक रहेंगे। श्राद्ध पक्ष की पंचमी तिथि का अविवाहित मृत परिजनों का श्राद्ध किया जाता है, इसलिए इसे कुंवारा पंचमी कहते हैं। इस बार ये तिथि 25 सितंबर, शनिवार को है।
इस विधि से करें पंचमी तिथि का श्राद्ध…
- सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लीपकर व गंगाजल से पवित्र करें। घर के आंगन में रांगोली बनाएं।
- महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं।भोजन में खीर हो तो अच्छा रहता है।
- कुंवारा पंचमी पर अविवाहित ब्राह्मण को न्योता देकर बुलाएं व पितरों की पूजा एवं तर्पण आदि करवाएं।
- संभव हो तो बहन के परिवार वालों को भी भोजन के लिए अवश्य निमंत्रित करें।
- पितरों के निमित्त अग्नि में खीर अर्पित करें। गाय, कुत्ता, कौआ व अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास अलग से निकालें।
- ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं। वस्त्र, दक्षिणा दान करें। ब्राह्मण को घर के दरवाजे तक ससम्मान छोड़ कर आएं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
श्राद्ध (Shradh Paksha 2021) में ब्राह्मण क्यों जरूरी?
- श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन करवाना एक जरूरी परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मणों को भोजन करवाए बिना श्राद्ध कर्म अधूरा माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, ब्राह्मणों के साथ वायु रूप में पितृ भी भोजन करते हैं।
- ऐसी मान्यता है कि ब्राह्मणों द्वारा किया गया भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है। इसलिए विद्वान ब्राह्मणों को पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ भोजन कराने पर पितृ भी तृप्त होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
- इस परंपरा से जुड़ा मनोवैज्ञानिक पक्ष ये है कि सभी लोग अपने पितरों की प्रसन्नता चाहते हैं, इसलिए इस परंपरा का पालन प्राचीन काल से किया जा रहा है। समय के साथ ये श्राद्ध का जरूरी अंग बन गया है।
श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें
Shradh Paksha: उत्तराखंड में है ब्रह्मकपाली तीर्थ, पांडवों ने यहीं किया था अपने परिजनों का पिंडदान
Shradh Paksha: सपने में पितरों का दिखना होता है खास संकेत, जानिए ऐसे सपनों का अर्थ
Shradh Paksha: तर्पण करते समय कौन-सा मंत्र बोलना चाहिए, अंगूठे से ही क्यों देते हैं पितरों को जल?
Shradh Paksha: चीन, जापान, जर्मनी आदि देशों में भी पितरों की याद में किए जाते हैं धार्मिक आयोजन
Shradh Paksha: किस तिथि और नक्षत्र में किए गए श्राद्ध का क्या फल मिलता है, बताया गया है महाभारत में
कुंडली में है पितृ दोष तो आपके लिए बहुत खास है श्राद्ध पक्ष, अशुभ फल से बचने के लिए करें ये उपाय
Shradh Paksha: मृत्यु तिथि याद न हो तो किस दिन करें पितरों का श्राद्ध? ये है सबसे आसान विधि
Shradh Paksha: सबसे पहले किसने किया था श्राद्ध, इन 16 दिनों में कौन-से काम नहीं करना चाहिए?
Shradh Paksha: श्राद्ध पक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से मिलती है पितृ ऋण से मुक्ति, जानिए महत्व