राजा ने संत से पूछा ‘3 सबसे कठिन काम कौन-से हैं?’, संत ने जवाब देने से पहले राजा के सामने रखी ये शर्त

कई लोग जीवन भर दूसरों की गलतियां ढूंढते रहते हैं, लेकिन स्वयं की गलती नहीं देख पाते। उनमें स्वार्थ और क्रोध कूट-कूटकर भरा होता है, इसके बाद भी स्वयं को निर्दोष ही मानते हैं।
 

उज्जैन. कुछ लोग कदम-कदम पर गलतियां करते हैं, जिससे दूसरे लोगों को ठेस पहुंचती है, लेकिन इसके बाद भी वे इन बातों को नहीं समझ पाते और लोगों से घृणा करते रहते हैं। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि अपनों की गलतियां ढूंढना और उन्हें सुधारना सबसे कठिन कामों में से एक है।

जब राजा ने मंत्रियों से पूछे 3 कठिन काम
किसी देश में एक न्यायप्रिय राजा था। वह अक्सर अपने प्रश्नों से अपने मंत्रीमंडल की परीक्षा लिया करता था। एक बार राजा ने अपने मंत्रियों से पूछा कि “वो कौन से तीन काम है, जिन्हें करना मनुष्य के लिए सबसे कठिन है?”
राजा का सवाल सुनकर कुछ देर तक मंत्री मंडल में सन्नाटा छाया रहा, उसके बाद एक मंत्री ने जवाब दिया कि “पहाड़ी पर चढ़ाने सबसे कठिन है महाराज।” लेकिन राजा उसके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए।
थोड़ी देर बाद फिर एक मंत्री ने जवाब दिया कि “पानी पर चलना और आग में जलना सबसे कठिन है महाराज।” राजा को ये जवाब भी ठीक नहीं लगा। इस तरह सभी मंत्रियों ने अपनी-अपनी बुद्धि के अनुसार राजा को जवाब दिए, लेकिन राजा को एक भी जवाब ठीक नहीं लगा।
सही जवाब ने मिलने के कारण राजा उदास हो गए और सोच में पड़ गए। तब एक मंत्री ने कहा कि “महाराज, हमारे राज्य में एक महान विद्वान रहते हैं। वो आपके इस प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं।”
राजा ने कहा “ठीक है, उन्हें हमारे दरबार में बुलवाओ।”
मंत्री ने कहा कि “विद्वान को दरबार में बुलवाना उचित नहीं है, इसलिए हमें स्वयं ही उनके पास जाना चाहिए।” 
मंत्रियों के कहने पर राजा उस विद्वान के पास पहुंचें और बोले कि “ हे महात्मा, आप मुझे तीन ऐसे कार्य बताइए जो किसी भी मनुष्य के लिए करना बेहद कठिन हैं।” 
राजा का प्रश्न सुनकर संत मुस्कुराए और बोले कि “मैं तुम्हें तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर दूंगा, लेकिन तुम्हें उन्हें अपने जीवन में उतारने होंगे।” राजा ने हां कह दिया।
संत ने कहा कि “दुनिया के तीन कठिन कार्य शरीर से नहीं बल्कि मन से जुड़े हैं। उनमें पहला है- घृणा के बदले प्रेम करना। दूसरा है अपने स्वार्थ व क्रोध का त्याग करना और तीसरा है- अपनी गलती को मानना।”
संत के जवाब ने राजा को संतुष्ट कर दिया और वे बोले “आपके बताए ये तीनों कार्य में अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करूंगा।”

निष्कर्ष ये है कि…
जीवन में कई कठिन काम है, लेकिन उनमें सबसे कठिन काम है अपनी गलतियां समझना और उन्हें सुधारना। किसी से प्रेम करना और अपने स्वार्थ और क्रोध का त्याग करना। जो व्यक्ति ये तीनों काम कर सकता है, वास्तव में वही राजा के समान जीवन व्यतीत कर सकता है।

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