जब 2 दिन भूखा रहने के बाद राजा के बेटे को समझ में आ गया जिंदगी का असली सच

कुछ लोगों को अपने पद और धन का जरूरत से ज्यादा ही अभिमान रहता है। वो अपने आगे किसी को कुछ समझते ही नहीं है। इस वजह से लोग भी उनका सम्मान नहीं करते। ऐसे लोग हमेशा बुराई के पात्र ही बने रहते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 19, 2022 7:24 AM IST / Updated: Mar 19 2022, 02:58 PM IST

उज्जैन. अहंकारी लोगों पर यदि कोई मुसीबत भी आ जाए तो लोग उनका साथ नहीं देते। इसलिए जरूरी है कि हम अपना व्यवहार सुधारें और सभी से आदर और प्रेमपूर्वक बात करें। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि पद या धन के अभिमान में किसी का अपमान न करें।  

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जब राजा के बेटे को हो गया अभिमान
किसी समय की बात है। एक राजा था। वो अपने लोगों को बच्चों की तरह प्यार करता था। हर सुख-दुख में उनके साथ खड़ा रहता था। जनता भी राजा को सम्मान देती थी। राजा का एक बेटा था, जो बहुत घमंडी था। वो अपने पद का गलत फायदा उठाते हुए लोगों को टॉर्चर करता था।

जब ये बात राजा को पता चली तो उसने अपने गुरु से सलाह ली। इसके बाद उसे आश्रम के स्कूल पढ़ने भेज दिया। वहां भी राजा के लड़के की अकड़ कम नही हुई। गुरु ने उसे खाने के लिए दूसरे घरों से भिक्षा मांगने को कहा। लड़कने सीधा इंकार कर दिया। गुरु ने उसे पूरे दिन खाना नहीं दिया।

दूसरे दिन भूख से बेहाल होकर वो भिक्षा मांगने निकला। लेकिन भिक्षा मांगने के दौरान भी वो लोगों से अकड़ कर बात करता था। उसकी बातों से ऐसा लगता था मानो वो लोगों से नहीं बल्कि लोग उससे भिक्षा मांग रहे हैं। दूसरे दिन उसको किसी घर से कुछ नहीं मिला, नतीजा उसे फिर भूखा रहना पड़ा। तीसरे दिन वह फिर भिक्षा मांगने निकला।

इस बार उसने भिक्षा के लिए लोगों से आग्रह किया तो उसे थोड़ा बहुत भोजन मिल गया। उसे ये बात समझ में आ गई कि अगर किसी से कुछ मांगना है तो भाषा और व्यवहार में नम्रता, आग्रह होना चाहिए।

धीरे-धीरे उसके स्वभाव में बदलाव आने लगा। अब वो आश्रम के अन्य लोगों से भी अच्छी तरह से बात करने लगा। जब उसका स्वभाव पूरी तरह से बदल गया तो एक दिन गुरु उसे अपने साथ बगीचे में ले गए। गुरु ने उसे एक मीठा फल खाने को दिया। 

फल खाकर राजकुमार ने उसकी बहुत प्रशंसा की। इसके बाद गुरु ने उसे कुछ नीम की पत्तियां खाने को दी। उसे खाकर राजकुमार का मुंह कड़वा हो गया। इसके बाद गुरु ने उसे समझाया कि “लोग कभी आपके पद के कारण आपका सम्मान नहीं करते, आपको सम्मान दिलाते हैं आपके कर्म और खासियत। इसलिए कभी किसी को अपशब्द मत बोलो, किसी को परेशान मत करो। तभी तुम योग्य राजा बन पाओगे।”


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निष्कर्ष ये है कि…
यदि आप धनवान और ऊंचे पद हैं, लेकिन लोगों से ठीक से बात नहीं करते, तो कोई भी आपका सम्मान नहीं करेगा। आपको सम्मान दिलाएगा आपका व्यक्तित्व और आपका व्यवहार। इसलिए लोगों से हमेशा प्रेमपूर्वक ही व्यवहार करना चाहिए।


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